सारनाथ भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित वाराणसी (बनारस) के पास एक गाँव है। यह बनारस से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-उत्तर पूर्व दिशा में है। यह स्थान बौद्ध और जैन धर्म के तीर्थ यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है। गौतम बुद्ध ने अपना पहला धर्मोपदेश यही दिया था। इस उपदेश को धर्मचक्रप्रवर्तन कहा जाता है, इसके बाद संघ की स्थापना यहीं हुयी थी और इसीलिए यह बौद्ध धर्म के चार सबसे प्रमुख तीर्थों में से एक है। यहाँ के बौद्ध मठ ध्यान करने के लिये उत्तम स्थल हैं।
हिरन पार्क के परिसर में सम्राट अशोक द्वारा बनवाया हुआ 249 ईसा पूर्व का धम्मेक स्तूप है, साथ ही तीसरी से ग्यारहवीं सदी के बीच के बनवाये हुए अन्य स्थापत्य भी हैं। यह बनारस के उपनगर के रूप में विकसित हो रहा है और जो पर्यटक बनारस की भीड़-भाड़ से दूर खुले हरे-भरे वातावरण में कुछ समय बिताना चाहते हैं उनके लिए अच्छा अवसर उपलब्ध कराता है।
समझ बढ़ायें
[सम्पादन]मौसम और जलवायु
[सम्पादन]यह जगह उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में है और उत्तर भारत के मैदान के लगभग बीचोबीच है। यहाँ साल में चार ऋतुएँ होती हैं: जाड़ा, मध्य नवंबर से मध्य फरवरी तक; मध्य फरवरी से मध्य अप्रैल तक बसंत; मध्य अप्रैल से जून तक गर्मी और जून के अंत से लेकर अक्टूबर तक बरसात। जाड़ा और गर्मी दोनों खूब पड़ते हैं। जनवरी सबसे ठंडा महीना होता है जब किसी किसी दिन न्यूनतम तापमान शून्य से भी नीचे जा सकता है, हालाँकि आमतौर पर यह पाँच डिग्री सेल्सियस तक गिरता है। गर्मियों में मई का अंत और जून की शुरूआत के कुछ दिनों के दौरान अधिकतम तापमान पैंतालीस डिग्री पार कर जाता है। गर्मियों की ख़ास विशेषता यहाँ चलने वाली "लू" है। ये पछुवा हवाएँ अत्यधिक गर्म होती हैं और हर साल इनके कारण कुछ मौतें भी दर्ज की जाती हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में मानसूनी हवाएँ 15 जून के आसपास पहुँचती हैं और लगभग 25 जून तक इनका असर पूरे उत्तर प्रदेश पर फैल जाता है, इसके बाद सितंबर तक बरसात का सीज़न रहता है और इलाके में भारी बारिश होती है।
इस तरह, अगर आप घूमने के लिहाज से देखें तो अक्टूबर से मध्य दिसंबर तक का समय और मध्य फरवरी से अप्रैल तक का समय सर्वोतम है जब मौसम सुहाना रहता है; न तो बहुत गर्मी होती है न जाड़ा। इस समय आप हलके कपड़ों के साथ काम चला सकते हैं और गर्मी भी आपको परेशान नहीं करेगी। बाक़ी अगर आप जाड़े में यहाँ घूमना चाहते हैं तो अपने साथ भारी ऊनी कपड़े और जैकेट इत्यादि अवश्य लें। जाड़ों कि एक अन्य समस्या कोहरा भी है जिसके कारण पूरे उत्तर भारत में चलने वाली रेलगाड़ियाँ प्रभावित होती हैं। कभी-कभी तो स्थिति इतनी ख़राब हो जाती कि ट्रेन रद्द भी हो सकती है। दूसरी ओर गर्मियों में अर्थात मई-जून में दोपहर तक गर्मी और धूप इतनी तेज हो जाती और अंधड़ की तहर लू चलने लगती कि आप बाहर नहीं निकल सकते।
पहुँचें
[सम्पादन]हवाई जहाज से
[सम्पादन]- वाराणसी हवाई अड्डा (लालबहादुर शास्त्री हवाई अड्डा, बाबतपुर) यहाँ से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है, जो सारनाथ से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दिल्ली, कोलकाता और मुम्बई जैसे नगरों से यहाँ के लिए रोज़ाना हवाई जहाजें उपलब्ध हैं। कुछ अंतर्राष्ट्रीय उड़ाने भी यहाँ उतरती हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि आपको यहाँ उतरने के बाद मुख्य शहर बनारस नहीं जाना पड़ता क्योंकि बनारस से बाबतपुर हवाईअड्डा और सारनाथ दोनों ही जगहें लगभग एक ही दिशा में हैं और हवाईअड्डे से आप सीधे सारनाथ पहुँच सकते हैं।
रेलगाड़ी से
[सम्पादन]नज़दीकी बड़ा रेलवे स्टेशन वाराणसी कैन्ट है (6 कि॰मी॰), जो सभी बड़े भारतीय शहरों से जुड़ा है। सारनाथ में खुद भी एक छोटा स्टेशन है जहाँ के लिए वाराणसी कैन्ट स्टेशन से हर दो तीन घंटे के लिए रेलगाड़ी मिल जाती है, परन्तु यह स्टेशन वाराणसी-गोरखपुर और वाराणसी-बलिया मार्ग पर पड़ता है और कुछ ही एक्सप्रेस रेलगाड़ियाँ यहाँ रुकती हैं। हाँ, उपरोक्त दोनों रेलमार्गों की ज्यादातर गाड़ियों का अंतिम पड़ाव वाराणसी सिटी स्टेशन होता है जो सारनाथ और वाराणसी कैन्ट के बीच में स्थित है, अतः वाराणसी सिटी स्टेशन से भी सारनाथ आसानी से पहुँचा जा सकता है।
- 1 वाराणसी कैंट (IR स्टेशन कोड: BSB) यह वाराणसी का सबसे व्यस्त स्टेशन है। यहाँ स्टेशन के बाहर निकल कर आप आसानी से सारनाथ जाने के लिए ऑटो रिक्शा ले सकते हैं; टुकटुक ऑटो रिक्शा लगभग ₹150 किराया लेते हैं।
- वाराणसी सिटी यह दूसरा स्टेशन है और गोरखपुर, गाजीपुर इत्यादि के ओर से आने वाली रेलगाड़ियाँ यहाँ रुकती हैं और उनके लिए यह बनारस कैंट स्टेशन से ठीक पहले पड़ता है। ऑटो रिक्शा लगभग ₹100 किराया लेते हैं।
- सारनाथ रेलवे स्टेशन सारनाथ में भी एक छोटा किंतु सुंदर और साफसुथरा स्टेशन है जहाँ गोरखपुर, गाजीपुर इत्यादि के ओर से आने वाली कुछ रेलगाड़ियाँ रुकती हैं। यह बनारस सिटी स्टेशन से ठीक पहले पड़ता है। यहाँ से आप पैदल टहलते हुए मुख्य बौद्ध मंदिर तक जा सकते हैं।
बस से
[सम्पादन]लम्बी दूरी की बसें वाराणसी कैंट बस अड्डे तक पहुँचती हैं। यहाँ से आप नगरीय परिवहन की बस, टैक्सी अथवा ऑटो रिक्शा द्वारा सारनाथ पहुँच सकते हैं।
टैक्सी/ऑटो रिक्शा से
[सम्पादन]बनारस से टैक्सी और ऑटो रिक्शा द्वारा यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है। अगर आप भारत से बाहर के हैं, बनारस से यहाँ पहुँचने के लिए पहले कोई दाम न तय करें। आप पहुंच कर पैसे देंने के बारे में बात कर सकते हैं। अगर आपके पास सामन बहुत अधिक है तो टैक्सी करें, नहीं तो ऑटो रिक्शा बेहतर होगा। अगर सामान बहुत कम है और आप बस में सफ़र कर सकते तो लोकल परिवहन कि बीएस पकड़ कर बनारस कैंट से सारनाथ जाना सबसे बेहतर चुनाव होगा। यहाँ की स्थानीय भाषा पश्चिमी भोजपुरी है, इसका ज्ञान आपको किराए में बारगेन करने में काफ़ी लाभ दे सकता है।
देखें
[सम्पादन]- अशोक स्तंभ तुर्की आक्रमण के दौरान यह टूट गया था और उस मूल स्थान पर केवल आधार ही बचा है, टूटा हुआ हिस्सा अब सारनाथ संग्रहालय में प्रदर्शन हेतु रखा गया है। इसमें चारों ओर एक दौरे की ओर पीठ किए शेर खड़े हैं। इसे 1950 में भारत के राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में स्वीकार किया गया था। पहले इसके ऊपर एक बड़ा सा चक्र भी रखा हुआ रहा होगा परन्तु अब उस चक्र के कुछ टुकड़े ही मौजूद हैं जिन्हें संग्रहालय में पूरे चक्र के कल्पित चित्र के साथ मिला कर रखा गया है ताकि देखकर अंदाजा हो सके कि यह चक्र अपने मूल रूप में कैसा रहा होगा।
- 1 चौखंडी स्तूप, ऋषिपत्तन मार्ग पाँचवीं शताब्दी में इसे बनाया गया था। यदि आप बनारस से सारनाथ जाते हैं तो सबसे पहले आपको यही स्तूप दीखता है जो सड़क के बायीं ओर है। स्तूप एक बड़े से चबूतरे पर है और यह तीन स्तरों या मंजिलों में बना हुआ है। इसके सबसे नीचे के चबूतरों के आलों में बुद्ध मूर्तियाँ हैं। सबसे ऊपरी भाग में मुग़ल काल में बनायी गयी एक अष्टकोणीय छतरी बनी हुई है जो नीचे की संरचना से मेल नहीं खाती। जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध हिंदी कहानी "ममता" इसी छतरी की कथा के आधार बार लिखी गयी है। स्तूप का संरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा किया जाता है। संरक्षण कि स्थिति अच्छी है। स्तूप के परिसर के उत्तरी भाग में बाग़ भी है जहाँ कुछ देर विश्राम किया जा सकता है।
- 2 धमेख स्तूप इसे 249 ईसा पूर्व के एक पुराने स्तूप के स्थान पर में सम्राट अशोक ने 500 ईसवी में बनाया था। यह सारनाथ की सबसे आकर्षक संरचना है। इस बेलनाकार स्तूप का आधार व्यास 28 मीटर है जबकि इसकी ऊंचाई 43.6 मीटर है।
- मूलगन्धकुटी विहार, आंगारिक धर्मपाल मार्ग, ☎ +91-9824000000 ये वही टूटा मंदिर है, जिस जगह है, जहाँ बुद्ध ने अपनी पहली वर्षा ऋतु देखी थी।
- 3 सारनाथ संग्रालय यह बहुत छोटा संग्रह है, लेकिन बहुत खास चीजों को ही यहाँ रखा गया है। यहाँ कुल 6,832 चीजें रखी गयी हैं। इनमें से सबसे प्रमुख आकर्षण अशोक के सिंह स्तंभ का शीर्ष है। यह सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक ही खुला रहता है और शुक्रवार को बंद रहता है।
- 4 श्री दिगंबर जैन मंदिर, धर्मपाल मार्ग धमेख स्तूप के पास ही यह मंदिर स्थित है। यहाँ आप मुख्य सड़क से आ सकते हैं, जो धमेख स्तूप तक भी जाता है।
- यहाँ आपको थाई मंदिर, जापानी मंदिर, चीनी मंदिर, बर्मा मंदिर, इंडोनेशिया मंदिर आदि भी मिलेंगे।
खाना
[सम्पादन]यहाँ आपको उत्तर भारतीय खाना सभी रेस्तरां में आसानी से मिल जाएगा। उत्तर भारतीय थाली में आमतौर पर दाल, दो सब्जियाँ, चावल और रोटियाँ परोसी जाती हैं और अचार, सलाद और चटनियाँ भी होती हैं।
इसके अलावा यहाँ कई रेस्तरां में दक्षिण भारतीय खाना भी मिलता है और यदि आप थाई, चीनी अथवा कोरियाई धर्मशालाओं या मंदिरों से जुड़े रहने की जगह का उपयोग कर रहे हों तो पता करें कि वहाँ उक्त देशों में पसंद किये जाने वाले व्यंजन भी मिल सकते हैं।
- 1 हाइवे इन्न रेस्त्राँ, आशापुर चौराहा (सारनाथ के केंद्र से करीब 1किमी की दूरी पर), ☎ +91 94541 62836 8AM–9PM. मसालेदार खाना पसंद करने वालों के लिए काफी अच्छा है। दाल फ्राई और आलू जीरा भी अच्छा मिलता है।
- 2 रेस्टोरेंट UP-65, 25, ऋषिपत्तन मार्ग, मवैया (मुख्य सड़क पर, आनंद बेकर्स के पास), ☎ +91 98388 51075 11AM - 9PM. उत्तर भारतीय मसालेदार खाना। यहाँ ट्रांसपोर्ट की थीम पर सजावट है।
- द टेस्ट ऑफ़ हांडी चुला (बर्मी मंदिर के सामने), ☎ +91 73888 02020
- हॉलिडे इन्न, मेन रोड (महाबोधि मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने) 11.00-18.00. सारनाथ के 2-3 रेस्त्राँ में से एक है। खाना अच्छा है और वाज़िब दाम में उपलब्ध है।
- शाक्य रेस्टोरेंट, गंज, सारनाथ, ☎ +91 73170 02938 आम रेस्टोरेंट की तरह है।
- फ्रेंड्स कार्नर तिब्बती रेस्टोरेंट, गंज, सारनाथ (तिब्बती मंदिर के पास), ☎ +91 91695 03465 7AM - 8PM. यहाँ आप विशेष तिब्बती पकवान का आनंद ले सकते हैं।
पीना
[सम्पादन]- 1 रॉयल्स बार एंड रेस्टोरेंट, आशापुर रोड, पंचकोसी, ☎ +91 73980 49581 सस्ता बार है।
सोना
[सम्पादन]सस्ते में
[सम्पादन]- जैन पेइंग गेस्ट हाउस बहुत ही सस्ता है और परिवार जैसा आतिथ्य भी किया जाता है। इसके लिए आपको ₹300 हर रात के लिए देने होंगे। जिसमें हो सकता है कि आपको परिवार के साथ ही यहाँ सुबह शाम और रात का भोजन भी करने दे दिया जाये।
- महाबोधि धर्मशाला मंदिर, थाई मंदिर और बर्मी मंदिर- ये सभी बहुत ही सस्ते में रात्रि विश्राम की सुविधा देते हैं और यह अच्छी भी होती है।
- 1 यूपीएसटीडीसी राही टूरिस्ट बंगला, सारनाथ स्टेशन रोड, अशोक मार्ग क्रासिंग, बरईपुर (महाबोधि इंटर कालेज के नजदीक), ☎ +91 542 2595969, फैक्स: +91 (0542) 259-5379 एक सरकारी गेस्ट हाउस है जो बहुत अच्छा तो नहीं पर इसकी लोकेशन अच्छी है जहाँ से घूमने में सुविधा रहती है।
- 2 चीनी मंदिर, ☎ +91 5422595280 मुख्य घूमने लायक इलाकों और स्थानों के समीप ही स्थित है। यहाँ से धमेख स्तूप मात्र 5-10 मिनट में टहलते हुए जाया जा सकता है। उपलब्धता के आधार पर छोटे और बड़े कमरे मिल जाते हैं जिनका किराया 200/300 प्रति बेड अथवा प्रति कमरा होता है। साफ़-सुथरा और सादा गेस्ट हाउस है।
मध्यम-रेंज
[सम्पादन]- 3 दि गोल्डेन बुद्धा होटल (Golden Buddha Marriage Lawn), सारंगनाथ कालोनी, ☎ +91-993-503-9368, +91 98074 74018 संभवतः यह इस कसबे का सबसे बेहतर होटल है। आयुर्वेदिक मसाज और हॉट-टब बाथ जैसी सुविधायें भी हैं। रेस्तरां में आप भारतीय व्यंजनों का लुत्फ़ ले सकते हैं। सुन्दर शांत लान है। मुख्य मंदिर तक यहाँ से टहलते हुए जाया जा सकता है और होटल वाले आपको स्टेशन से लेने के लिए टैक्सी इत्यादि की व्यवस्था (अतिरिक्त खर्च पर) भी कर सकते हैं। ₹400 - ₹1200.
पवित्र स्थलों का सम्मान करें
[सम्पादन]ध्यान दें कि यह एक धार्मिक रूप से पवित्र स्थान है और तमाम मंदिर, स्तूप और अन्य धार्मिक चीजें हैं जहाँ आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- कपड़े ऐसे पहने जो धार्मिक सम्मान प्रकट करते हों
- परिक्रमा पथ पर घड़ी कि सुइयों की दिशा में घूमें
- मंदिरों, स्तूपों और अन्य पवित्र चीजों के पास जूते-चप्पल उतार कर जाएँ
- पवित्र स्मारकों पर चढ़ें नहीं।
यहाँ से जाएँ
[सम्पादन]- वाराणसी - ज़्यादातर लोग बनारस हो कर ही यहाँ पहुँचते हैं, पर यदि आप सीधे यहाँ आये हों तो बनारस अवश्य जाएँ।
- कुशीनगर - वह स्थल है जहाँ गौतम बुद्ध को परिनिर्वाण प्राप्त हुआ था।
- बोधगया - गौतम बुद्ध को यहाँ ज्ञान प्राप्त हुआ माना जाता है और प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ है।
- वैशाली - बिहार में एक प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है।
- नेपाल - कई प्राकृतिक और धार्मिक पर्यटन स्थल हैं।