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विष्णुपद मन्दिर

गया भारत के बिहार राज्य में एक बौद्ध और हिंदू धर्म मानने वाले लोगों के लिए एक तीर्थस्थल है। यहाँ हिंदू धर्म के मानने वाले पितृपक्ष में अपने पितरों को पिण्डदान करने आते हैं। इसके अलावा यह बौद्ध धर्म के लिए भी अति महत्वपूर्ण है क्योंकि गौतम बुद्ध ने यहाँ ज्ञान प्राप्त किया था। इसीलिए इसका एक नाम बोधगया भी है। इसके अतिरिक्त यहाँ विष्णुपाद मंदिर भी प्रसिद्ध है।

परिचय[सम्पादन]

गया भारतीय राज्य बिहार का दूसरा बड़ा शहर है और झारखंड और बिहार की सीमा के पास फल्गु नदी के तट पर बसा हुआ है। इसकी प्रसिद्धि मुख्यतः एक धार्मिक नगरी के रूप में है। हिंदू धर्म के अनुयायी यह मानते हैं कि यहाँ एक बार पिंडदान कर लेने से फिर इसकी आवश्यकता नहीं रहती। पिंडदान एक धार्मिक क्रिया है जिसमें, पितृपक्ष (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह सितंबर महीने में पड़ता है) में हिंदू लोग अपने पितरों यानी पूर्वजों की पूजा करते हैं और आटे के बने लड्डू की आकृति पिंड समर्पित करते हैं।

गया के मंदिरों में विष्णुपाद मंदिर प्रसिद्ध है जहाँ मान्यता अनुसार भगवन विष्णु के चरणों के निशान मौजूद हैं। इन चिह्नों के बारे में कहा जाता है कि गयासुर नामक दैत्य का वध करते समय भगवान विष्णु के ये पदचिह्न यहाँ पड़े थे। ब्रह्मयोनि पहाड़ी एक अन्य धार्मिक स्थल है जिसकी चोटी पर शिव मंदिर स्थापित है और यहाँ भी पिंडदान किया जाता है। कथाओं के मुताबिक़ सीता के शाप के कारण यहाँ से होकर बहने वाली फल्गु नदी नीचे चली गयी और पहाड़ी के निचले हिस्से से होकर बहती है। अन्य मंदिरों में मंगला गौरी का मंदिर प्रमुख है। इसे एक शक्तिपीठ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।

गया से 17 किलोमीटर की दूरी पर बोधगया स्थित है जो बौद्ध तीर्थ स्थल है और बौद्ध परंपरा की मान्यता के अनुसार यहीं बोधि वृक्ष के नीचे गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

अन्य जानकारी[सम्पादन]

इतिहास[सम्पादन]

12वीं सदी में मुहम्मद बख्तियार खिलजी ने गया पर हमला कर दिया था। लेकिन हिन्दू शासकों ने उसे हरा दिया। वर्ष 1764 में बक्सर की लड़ाई के बाद अंग्रेजों ने इस जगह पर कब्जा कर लिया। उसके बाद कई वर्षों तक स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने के बाद वर्ष 1947 में आजादी मिली।

मौसम[सम्पादन]

अप्रैल से जून तक यहाँ का मौसम 40 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाता है। जून के अंत से लेकर सितम्बर और अक्टूबर के शुरू में यहाँ बारिश का मौसम रहता है। इस दौरान रात का तापमान 26 डिग्री के आसपास रहता है और दिन में भी तापमान 33 डिग्री से अधिक नहीं होता है। नवम्बर से धीरे धीरे ठंड का मौसम शुरू होने लगता है। दिसम्बर और जनवरी माह में काफी ठंडा मौसम रहता है और फरवरी के बाद मार्च में धीरे धीरे ठंड कम होने लगता है और गर्मी के मौसम की शुरूआत होने लगती है।

यहाँ वर्षा ऋतु में सबसे अधिक बारिश जुलाई और अगस्त माह में होती है। इस दौरान माह के लगभग 20 दिन बारिश होती है। इन दो माह में 300 मिलीलीटर तक बारिश होता है। पूरे वर्ष में 1,130 मिलीलीटर औसत बारिश होती है।

पहुँचने के लिए[सम्पादन]

गया हवाईअड्डे की बिल्डिंग
गया हवाईअड्डा
गया जंक्शन का प्लेटफार्म
गया जंक्शन रेलवे स्टेशन

वायुमार्ग[सम्पादन]

  • 1 गया हवाईअड्डा (GAY IATA) गया के नजदीक, बोधगया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो दिल्ली कोलकाता और वाराणसी से घरेलू विमान सेवाओं और थाईलैंड और जापान से अंतर्राष्ट्रीय विमान सेवाओं द्वारा जुड़ा हुआ है। घरेलू उड़ान सेवा एक मात्र एयर इंडिया (AI-433) की है जो दिल्ली और बनारस से रोजाना चलती है। गया अंतर्राष्ट्रीय हवाई-अड्डा को विकिपीडिया में देखें Q531481 को विकिडाटा में देखें
  • दूसरा विकल्प पटना है। पटना हवाई अड्डा देश के लगभग सभी बड़े शहरों से विमान सेवाओं द्वारा जुड़ा हुआ है। पटना उतरने के बाद आपको 100 किलोमीटर की दूरी सड़क अथवा रेलमार्ग से तय करके गया पहुँचना होगा। बसें और टैक्सियाँ आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।

रेलमार्ग[सम्पादन]

यह शहर रेल मार्ग द्वारा भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। गया जंक्शन, बिहार राज्य का दूसरा सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है और यहाँ से पटना, कोलकाता, पुरी, बनारस, चेन्नई, मुम्बई, नई दिल्ली, नागपुर, गुवाहाटी आदि के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं। प्रमुख रेल मार्ग जो इस स्टेशन से होकर गुजरते हैं:

  • ग्रैंड-कॉर्ड
  • हावड़ा-गया-दिल्ली मार्ग
  • हावड़ा-इलाहाबाद-मुंबई मार्ग
  • आसनसोल-गया रेलमार्ग
  • गया मुगलसराय खंड
  • पटना-गया रेलमार्ग
  • गया-किऊल रेल लाइन
  • 1 गया जंक्शन (IR स्टेशन कोड: GAYA)स्टेशन रोड, गया यह बिहार का दूसरा सबसे व्यस्त स्टेशन है। गया जंक्शन रेलवे स्टेशन को विकिपीडिया में देखें Q5528694 को विकिडाटा में देखें

यहाँ कुछ प्रमुख रेलगाड़ियों की सूची दी जा रही जो उपयोगी हो सकतीं हैं:

ट्रेन नंबर नाम यहाँ से पकड़ सकते हैं यहाँ पहुँचेंगे
12876 नीलांचल एक्सप्रेस आनंद विहार नई दिल्ली गया जंक्शन
20840 राँची राजधानी एक्सप्रेस नई दिल्ली गया जंक्शन
12314 सियालदह राजधानी एक्सप्रेस नई दिल्ली गया जंक्शन
12311 कालका मेल नई दिल्ली गया जंक्शन
12307 हावड़ा-जोधपुर सुपरफास्ट हावड़ा गया जंक्शन
12302 हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस नई दिल्ली गया जंक्शन
12398 महाबोधि एक्सप्रेस नई दिल्ली गया जंक्शन
22812 नई दिल्ली-भुबनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस नई दिल्ली गया जंक्शन
22824 नई दिल्ली-भुबनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस नई दिल्ली गया जंक्शन
20818 नई दिल्ली-भुबनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस नई दिल्ली गया जंक्शन
63259 पटना-गया मेमू पटना गया जंक्शन
12322 मुंबई-हावड़ा मेल मुंबई (CSMT) गया जंक्शन
13152 जम्मू-तवी - कोलकाता एक्सप्रेस जम्मू तवी गया जंक्शन

सड़क मार्ग[सम्पादन]

यहाँ बिहार की राजधानी पटना और अन्य कई नगरों से सड़क मार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है। पटना से सरकारी और प्राइवेट बसें उपलब्ध हैं। आमतौर पर पटना से गया पहुँचने में बस द्वारा लगभग तीन घंटे का समय लगता है। बस टिकट आप पहले से भी बुक करा सकते हैं।

उत्तर प्रदेश के प्रमुख धार्मिक तीर्थ वाराणसी से भी गया तक के लिए बसें चलती हैं। बनारस से गया पहुँचने में लगभग पाँच घंटों का समय लगता है।

शहर में आवागामन[सम्पादन]

गया शहर में आवागामन के निम्लिखित तरीके हैं:

ऑटो रिक्शा[सम्पादन]

ऑटो रिक्शा को यहाँ "टेम्पो" कहा जाता है। शहर में एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के लिए यह सबसे अच्छा विकल्प साबित होता है। आप अकेले अथवा साझा तरीके से इन्हें रिजर्व भी कर सकते हैं और अलग-अलग रूटों पर चलने वाले टेम्पो में बैठ के भी आवागमन कर सकते हैं अगर आपको भलीभांति पता हो कि आपका गंतव्य किस रूट पर है।

साइकिल रिक्शा[सम्पादन]

छोटी दूरियों के लिए यह विकल्प भी बुरा नहीं है। मुख्य रूट के अतिरिक्त अगर आपको कहीं पहुँचना हो तो यह बाकियों से अच्छा विकल्प भी साबित हो सकता है जो आपको अपने गंतव्य तक पहुँचायेग़ा।

घूमें और देखें[सम्पादन]

विष्णुपद मंदिर
  • ब्रह्मयोनी एक पहाड़ी है। धार्मिक रूप से इसे हिंदू लोग पवित्र पहाड़ी मानते हैं और यहाँ से मैदानी इलाके के विहंगम दृश्य का आनंद लिया जा सकता है।
  • 1 मंगला गौरी मंदिरशक्ति पीठम, गया +91 77798 17687 पहाड़ी के शीर्ष पर बना हुआ मंदिर। शिव की पहली पत्नी मंगला गौरी को समर्पित यह मंदिर भारत के शक्ति पीठों में प्रमुख स्थान रखता है।
  • प्रेत शिला पहाड़ी है जहाँ से मैदानों का सुंदर नज़ारा किया जा सकता।
  • 2 विष्णुपद मंदिर यहाँ चरण चिह्न हैं जिन्हें हिंदू लोग भगवान विष्णु के चरण-चिह्न मानते हैं और पूजा करते हैं। अपने पूर्वजों को श्राद्ध का पिंडदान करने के बाद यहाँ दर्शन करने आते हैं।
  • 3 सीता कुण्ड फल्गु नदी के दूसरे किनारे पर स्थित एक धार्मिक महत्व का स्थान है। पास ही में नागकूट नामक पहाड़ी भी है।
  • 4 पर्यावरण पार्क (रॉक एरिया) ये एक पार्क है जो रॉक एरिया में स्थित है।

खरीदें[सम्पादन]

  • अंबेडकर बाजार यहाँ कई प्रचलित ब्रांड के शोरूम हैं। जैसे कि रेमंड, एडिडास, लीवाइस इत्यादि।
  • जीबी रोड यहाँ का मुख्य बाजार है।

खाना[सम्पादन]

खजूर या ठेकुआ आटा अथवा मैदे में चीनी मिला कर तला हुआ मीठा है।

उत्तर भारतीय खाना सबसे प्रचलित भोजन है जिसमें चावल, दाल और सब्जियाँ प्रमुख होती हैं। चावल प्रधान क्षेत्र होने के कारण यहाँ रोटी का प्रचलन चावल की तुलना में कम अवश्य है परन्तु यह सभी जगह उपलब्ध होती है। लगभग हर शहर-कसबे में आपको "थाली" के रूप में एक पूरा भोजन उपलब्ध होता है। थाली के अलावा, पनीर के विविध व्यंजन उपलब्ध होते हैं। आप अपनी पसंद कि पनीर की सब्जी, रोटी नान इत्यादि चुनकर अपना कोम्बो बना सकते हैं।

अन्य प्रमुख खाने निम्नलिखित हैं:

  • पूरी-सब्जी - सुबह के नाश्ते में काफी लोकप्रिय है।
  • लिट्टी-चोखा - आटे की गोल लोइयों में भुने चने का पिसा हुआ सत्तू मसालों के साथ मिला कर भरा जाता है और इसे उपले की आग पर सेंका जाता है, इसे लिट्टी, भउरी अथवा छोटे आकर की होने पर फुटेहरी कहते हैं। आलू और बैंगन को भूनकर मसालों के साथ उसका चोखा बनाया जाता है। यह यहाँ का आम प्रचलित खाना है सड़कों के किनारे ठेले पर मिल सकता है।
  • सत्तू - मुख्यतः जौ और चने को भूनकर पीसा हुआ आटा होता है। इसे सीधे पानी में सान कर भी खाया जाता है या घोल कर पेय के रूप में भी पीते हैं।

रेस्तरां[सम्पादन]

  • 1 पैपरिकाके. पी. मार्ग (घंटाघर के पास),  +91 631 222 2403 शाकाहारी रेस्टोरेंट है। परिवार के साथ भोजन करने के लिए अच्छा है।
  • महाराजा रेस्टोरेंटगया-बोधगया मार्ग
  • ख़ुशी रेस्टोरेंटए. पी. कालोनी
  • हैप्पी बर्थडे रेस्टोरेंटशहीद मार्ग
  • राजस्थान भोजनालय

सोना[सम्पादन]

सस्ते[सम्पादन]

गया में बहुत सारे सस्ते होटल मौजूद हैं। इनमें से ज्यादातर होटल स्टेशन रोड पर हैं।

मध्यम-रेंज[सम्पादन]

शहर में कुछ अच्छे होटल भी हैं। इनमें से कुछ हैं:

  • 1 होटल अजातशत्रुस्टेशन मार्ग (गया रेलवे स्टेशन के सामने),  +91 631 222 2961 यहाँ एक रेस्टोरेंट भी है जहाँ विविध प्रकार के व्यंजन उपलब्ध हैं।
  • हेरिटेज इन्नस्वराजपुरी रोड +91 631-2224735 बैंक्वेट हाल और रेस्टोरेंट के साथ।
  • सिद्धार्थ इंटरनेशनल
  • होटल विराट इन्न +91 7541057106

अधिक-रेंज[सम्पादन]

  • मार्शा सरोवर प्रीमियरवार्ड नं. 5, न्योतापुर +91 6312200222 5000.
  • बोधगया रीजेंसी होटलमस्तीपुर (जापानी मंदिर के पास),  +91 7070192142 यह एक चार सितारा होटल है। एक रेस्टोरेंट और एक जिम उपलब्ध है साथ ही, नाश्ता और पार्किंग मुफ़्त हैं।
  • होटल सुजाताजापानी मंदिर रोड +91 95044 40844 एक तीन सितारा होटल है। कैफ़े के साथ प्रार्थना और मेडिटेशन हॉल है।

यहाँ से जाएँ[सम्पादन]

  • बराबर गुफाएँ — ये चट्टान काट कर निर्मित की गयी गुफाएँ हैं जो अब भी ठीक हालत में मौजूद ऐसी गुफाओं में भारत में सबसे पुरानी हैं। ये सभी मौर्य काल में (322–185 ईसापूर्व) और कुछ में सम्राट अशोक के आदेशलेख खुदे हुए हैं। यह गुफाएँ बिहार के जहानाबाद जिले में हैं, गया से तकरीबन 24 किलोमीटर उत्तर में।
  • बोध गया — इस क्षेत्र का सबसे प्रमुख स्थान है और गया से कुछ ही दूरी पर है। यह स्थान बौद्ध धर्म के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है और उनके चार प्रमुख तीर्थों में से एक है। यहाँ गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ माना जाता है और यहाँ का प्रमुख मंदिर महाबोधि मंदिर है।
  • ब्रह्मयोनी पहाड़ी — एक पवित्र मानी जाने वाली पहाड़ी है। गया में पिण्डदान करने के बाद यहाँ भी आकर पिण्डदान किया जाता है।
  • काकोलत झरना — नवादा के पास स्थित एक प्राकृतिक जल-प्रपात है। काकोलत पहाड़ी से उतरने वाली एक छोटी नदी द्वारा निर्मित यह झरना लगभग 150 फीट ऊँचा है। वैशाख के महीने में यहाँ मेला लगता है और लोग स्नान करने आते हैं। मान्यता है कि पाण्डव अपने वनवास के दौरान यहाँ आये थे।
  • नालंदा — ऐतिहासिक पर्यटन का महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ प्राचीन काल में नालंदा विश्वविद्यालय स्थापित था।
  • पावापुरी — नालंदा ज़िले में राजगीर और बोधगया के समीप स्थित एक शहर है। यह जैन धर्म के लोगों के लिये एक अत्यंत पवित्र शहर है और माना जाता है कि भगवान महावीर को यहीं मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। यहाँ के जलमंदिर देखने लायक हैं।
  • राजगीर — राजगृह के नाम से यह प्राचीन नगर, मगध राज्य की राजधानी था। यहाँ से राजधानी स्थानांतरित करके पाटलिपुत्र ले जाई गयी थी, जिसे अब पटना के नाम से जाना जाता है।


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