![](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/1/1b/Delhi_districts_hi.svg/220px-Delhi_districts_hi.svg.png)
दिल्ली भारत की राजधानी है। यह दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में आती है। यहाँ मुख्य रूप से हिन्दी भाषा बोली जाती है, हालांकि उर्दू, पंजाबी और अंग्रेज़ी भी जगह-जगह लोग समझ लेते है। यहाँ कई प्राचीन इमारत, महल और कई घूमने के स्थान मौजूद है।
यात्रा
[सम्पादन]विमान द्वारा
[सम्पादन]![](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/b/b4/Delhi_Airport_domestic_departures_new_terminal_1D.jpg/220px-Delhi_Airport_domestic_departures_new_terminal_1D.jpg)
- 1 इन्दिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (DEL IATA, कभी कभी IGI भी) दिल्ली आने वाले ज़्यादातर यात्री इसी हवाई अड्डे से होते हुए दिल्ली आते हैं। यहाँ कई जगह आपको सुरक्षा के दृष्टि से जांच का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान आपको दर्जनों बार अपना पासपोर्ट और बोर्डिंग पास दिखाना पड़ सकता है, जो काफी समय ले लेता है।
सर्दियों के दौरान, दिल्ली में अक्सर घने कोहरे छाए रहते हैं, इस कारण दृश्यता काफी कम हो जाती है और विमान उतारने या उसके उड़ान भरने में काफी समस्या उत्पन्न हो जाती है। इस कारण इस दौरान कई बार विमान के उतरने और उड़ान भरने के समय में बदलाव होता रहता है और कई बार इन्हें रद्द भी करना पड़ जाता है।
बस द्वारा
[सम्पादन]नेपाल के काठमांडू और चितवन से 36 घंटे या उससे अधिक समय में बस आता है, जो भारत के लगभग हर शहर में जाता है। लेकिन यह रेल के जितना आरामदायक नहीं होता है। कुछ जगहों जैसे पर्वतों से आने के लिए केवल बस का ही विकल्प होता है।
रेल द्वारा
[सम्पादन]दिल्ली में भारत के सभी जगहों से रेल मार्ग द्वारा आवागमन की सुविधा उपलब्ध है। बहुत दूर-दूर से यात्री रेल द्वारा सफ़र कर दिल्ली घूमने आते हैं।
घूमना
[सम्पादन]बस द्वारा
[सम्पादन]दिल्ली का हर हिस्सा बस द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसकी टिकट सामान्य बसों में ₹5-15 तक होती है। जबकि वातानुकूलित बस में इसकी कीमत ₹25 से 50 तक होती है जो काफी सस्ती है। लेकिन ज्यादातर समय इसमें भीड़ अधिक होता है। लाल रंग के बस में आपको एसी की सुविधा मिलेगी, जबकि हरे रंग के बस में यह सुविधा नहीं है। बस अड्डों में बस के मार्ग के बारे में कोई जानकारी नहीं दी होती है। यदि आपको मार्ग नहीं पता तो उसे ढूंढने में आपको परेशानी हो सकती है। आप बस अड्डे में बस की प्रतीक्षा कर रहे लोगों से इस बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ लगभग सभी मार्गों में बस हर 15 से 20 मिनट में आते जाते रहता है। दिल्ली में दो अलग अलग प्रकार के बस होते हैं।
- सरकारी बस - सरकारी बस में आपको लाल और हरे रंग का बस देखने को मिलेगा, जिसमें बड़ी खिड़की दी होती है।
- निजी बस - निजी बस का रंग नारंगी होता है।
देखें
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सावधान यहाँ कई ऐसे निजी पर्यटक कार्यालय हैं, जो अपने आपको खुले तौर पर आधिकारिक सरकारी पर्यटक कार्यालय होने का दावा करते हैं। हालांकि वे सब मात्र पर्यटन एजेंट हैं, जिनका भारत सरकार से कोई लेना देना नहीं है। वे सब केवल पर्यटकों को अपने निशाने में लेते हैं और उनके साथ आप कोई भी चीज़ खरीदेंगे तो वे सभी चीज़ आपको काफी महंगे दामों में मिलेंगे, जबकि आप उन सामानों को अकेले लेने जाएँगे तो वे काफी सस्ते में आपको मिल जाएँगे। |
![](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/c/c2/Read_Fort.jpg/220px-Read_Fort.jpg)
लाल किला
[सम्पादन]दिल्ली में देखने लायक स्थानों में लाल किला है। इसका निर्माण मुगल शासक शाह जहाँ ने करवाया था। इसके लिए लाल रंग के पत्थरों का उपयोग किया गया है। इसका निर्माण वर्ष 1648 में हुआ था। यह किला भी ताजमहल और आगरे के क़िले की भांति ही यमुना नदी के किनारे पर स्थित है। वही नदी का जल इस किले को घेरकर खाई को भरती थी।
छत्ता चौक
[सम्पादन]यह इसके नाम की तरह पूरे बाजार के ऊपर छत्ते की तरह फैला रहता है। इसी कारण इसे छत्ता चौक नाम से पुकारा जाता है।
दीवाने आम
[सम्पादन]इसके नीचे का हिस्सा पूरी तरह से मार्बल का बना हुआ है। दीवान-ए-आम, या हॉल ऑफ ऑडियंस, दिल्ली के लाल किले में एक कमरा है जहाँ मुगल सम्राट शाहजहाँ और उसके उत्तराधिकारियों ने आम जनता के सदस्यों का स्वागत किया और उनकी शिकायतों को सुना। नक्कारखाना के नेतृत्व वाला भीतरी मुख्य दरबार 540 फीट चौड़ा, 420 फीट गहरा था, और आर्केड दीर्घाओं से घिरा हुआ था, जहां ड्यूटी पर सरदार तैनात थे।
दीवाने खास
[सम्पादन]यह पूरी तरह से मार्बल का बना हुआ है। यहाँ पर बादशाह केवल कुछ खास लोगों से ही मिलते थे। दीवान-ए-ख़ास, या निजी दर्शकों का हॉल, दिल्ली के लाल किले में एक कक्ष था जिसे 1648 में स्वागत समारोह के लिए एक स्थान के रूप में बनाया गया था। यह वह स्थान था जहाँ मुगल सम्राट शाहजहाँ ने दरबारियों और राजकीय अतिथियों का स्वागत किया था। इसे शाह महल के नाम से भी जाना जाता था।
रंग महल
[सम्पादन]यहाँ सुल्तान की पत्नी रहती थी। रंग महल या रंग का महल दिल्ली के लाल किले में स्थित है l
दावत खाना
[सम्पादन]इसमें मुख्य रूप से राजकुमार रहते थे। लेकिन अंग्रेजों ने इसमें कब्जा करने के बाद इसे खाने पीने का स्थान बना दिया था।
स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय
[सम्पादन]यह छत्ता चौक के बाएँ ओर है। इसमें भारत के आजादी से जुड़े वस्तुओं को रखा गया है।
कुतुब मीनार
[सम्पादन]महरौली में स्थित यह स्मारक कुतुबुद्दीन एबक द्वारा बनवाया गया था। यह दिल्ली का एक प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है। इसकी ऊँचाई 73 मीटर और व्यास १४.३ मीटर है l
कमल मन्दिर
[सम्पादन]दक्षिण दिल्ली में स्थित इस मन्दिर को बहाई मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। कमल मंदिर नेहुरे प्लेस के पास स्थित है l
अक्षरधाम मन्दिर
[सम्पादन]खरीदें
[सम्पादन]खाना
[सम्पादन]![](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/a/a4/JalebiS.jpg/220px-JalebiS.jpg)
दिल्ली में रहने वाले लगभग सभी चीजों के बारे में शिकायत करते रहते हैं, लेकिन यहाँ का भोजन उनकी मांगों को संतुष्ट कर देता है। यहाँ आप केवल भारतीय उपमहाद्वीप में मिलने वाले सभी अच्छे भोजन चख सकते हैं। इतना ही नहीं, यहाँ धीरे धीरे कई अंतर्राष्ट्रीय भोजनालय खुलने लगे हैं, जिससे आप दुनिया के कई प्रकार के भोजन भी खा सकते हैं। जब आप कोई खाना लाने को बोल रहे हों, तो इस बात का ख्याल रखें कि दिल्ली निकटतम समुद्र से लगभग 1000 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस कारण सब्जी, चिकन और मटन के भोजन को लाना बस है।
आप यहाँ चाँदनी चौक के पराठे वाली गली में जा सकते हैं। इस गली में आपको कई दुकान मिलेंगे जो अलग से पराठा बना कर बेचते हैं। इसमें आपको सौ से भी ज्यादा अलग अलग प्रकार के किस्में मिल जाएंगी, जिसमें करेला से लेकर आइसक्रीम तक शामिल है। वैसे दिल्ली में भी खुले में मिलने वाले बहुत लजीज खाना उपलब्ध है, लेकिन बाहर का खुले में बिकने वाला कुछ भी खाना आपके सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा। इनमें कुछ भोजनालय भी हैं, जो बाहर में मिलने वाले भोजन भेचते हैं, जो बाहर मिलने वाले भोजन से भी अधिक गंदगी वाले माहोल में बनाए गए हो सकते हैं।
पीना
[सम्पादन]- आप की पसंद चाय की दुकान - 15 नेताजी सुभाष मार्ग, दरयागंज, डाक घर के सामने स्थित है। आप आसानी से लाल किले से चलते हुए यहाँ आ सकते हैं। भारतीय चाय पीने का यह बहुत अच्छा स्थान है।
सोना
[सम्पादन]दिल्ली के होटलों में धूम्रपान की अनुमति नहीं है। यदि आप सस्ते होटल में रहना चाहते हैं तो ऐसे होटल आपको शहर के बीचों बीच और नई दिल्ली में मिलेंगे। कुछ और होटल भी हैं, जो थोड़े दक्षिण की ओर हैं। यह दक्षिण से लेकर हवाई अड्डे तक फैले हुए हैं। तो आपको इस रास्ते में कहीं भी आसानी से सस्ते होटल मिल सकते हैं। सस्ते होटलों में ₹400-2,500 तक पैसा लगता है।
सस्ते होटलों में अच्छी सुविधाओं की कमी होती है। यदि आपको थोड़ी अच्छी सुविधा चाहिए तो आप थोड़े महंगे होटल में रह सकते हैं। जिसमें खटिया और भोजन आदि की अच्छी सुविधा होती है। दिल्ली में बहुत महंगे होटल भी मौजूद है, जो नई दिल्ली में मिलेंगे। कुछ होटल दक्षिण की ओर भी हैं। इन होटलों का खर्चा सामान्यतः ₹8000 से अधिक ही होता है।
संचार
[सम्पादन]मोबाइल फोन का नेटवर्क इस शहर में काफी अच्छा है। यहाँ यह सेवा देने हेतु कई नेटवर्क प्रदाता हैं। प्रीपैड के साथ मोबाइल लेना आपके लिए अच्छा रहेगा, जिससे आप पूरे शहर से जुड़े रह सकते हैं। दिल्ली में फोन नंबर 011 से शुरू होता है और उसके बाद 8 अंकों का उपयोग होता है। यदि आपको भारत के बाहर किसी से बात करना है तो आपको अंतर्राष्ट्रीय कोड के बाद देश का कोड लगा कर बात करना होगा। यदि आप किसी फोन पर कॉल करना चाहते हैं तो आपको उसके फोन नंबर के आगे 011 लगाना होगा।