टोंक राजस्थान में एक नगर है।
पधारिए
[सम्पादन]टोंक जयपुर से सड़क-मार्ग द्वारा तकरीबन 100 किमी की दूरी पर है जो कि यहाँ पहुँचने का एकमात्र सहज रास्ता है।
देखिए
[सम्पादन]- मौलाना अबुल कलाम आज़ाद अरबी फ़ारसी शोध संस्थान इस संस्थान में अरबी और फारसी में पांडुलिपियों का एक शानदार संग्रह है। उनमें से कुछ स्वर्ण, माणिक, पन्ने तथा मोतियों से भव्य रूप से सज्जित है।
उस समय राजस्थान को राजपूताना कहा जाता था और राजपूताने में 19 रियासतें व तीन ठीकानें सम्मिलित थे जिनमे टोंक रियासत एकमात्र मुस्लिम रियासत थी| 25 मार्च,1948 को राजस्थान के एकीकरण के द्वितीय चरण पूर्व राजस्थान (संघ) में टोंक रियासत भी अन्य आठ रियासतों के साथ सम्मिलित कर ली गई| 30 मार्च 1949 को लावा ठीकानें को टोंक रियासत में शामिल करते हुए टोंक को राजस्थान का जिला मुख्यालय बना दिया गया| टोंक रियासत में लगने वाले मेले एवं त्योंहार राष्ट्रीय एकता और गंगा- जमुनी तहजीब के उदहारण एवं दृश्य प्रस्तुत करते थे| पुरे हिन्दुस्थान में टोंक की ईद की सवारी प्रसिद्ध हो गयी थी| इसके अलावा टोंक रियासत में लोकगीतों का समृद्ध भंडार है| तेजाजी,हीरामन,बगडावतों की हीड,ढोला मारू से सम्बंधित लोकगीत इस समृद्ध भंडार की श्रेणी में आते है| टोंक रियासत में कविता कहने की एक शेली प्रसिध्द है जिसे चार बेंत कहा जाता है| अपनी अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर को समेटे होने के कारण टोंक को राजस्थान का लखनऊ, रूमानी शायर अख्तर शिरानी का नगर, अदब का गुलशन, मीठे खरबुजों का चमन कहा जाता है|