Various facets of Tomb of Saadat Ali Khan नवाब सदात अली खान की कब्र लखनऊ भारत के सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है, और राज्य के पाँच सबसे बड़े शहरों में से एक है। पुराने समय में ऐतिहासिक अवध की राजधानी रहने के कारण देखने लायक नगर है। इसका लगभग पाँच प्रतिशत भाग वनों से घिरा हुआ है।
भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भी इस स्थान का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में लखनऊ की भागीदारी महत्वपूर्ण रही है। इसके अलावा, अवध के नवाबों के समय में ख़ास तरह की संस्कृति का विकास हुआ, संगीत के क्षेत्र में यहाँ का कथक नृत्य और ठुमरी गायन काफी प्रसिद्ध है। यहाँ की हिंदी, हिन्दुस्तानी भाषा की सबसे मधुर शैली मानी जाती है और बोलचाल का यह रूप लखनवी तहजीब के नाम से जाना ही जाता है। खाने के मामले में आपको यहाँ बहुत विकल्प मिलेंगे, विशेषकर यदि आप मांसाहारी हैं। नवाबी शैली में बिरयानी और कबाब आदि के लिए भी अधिक जाना जाता है। यहाँ के पकवानों को मुगलई पकवान कहा जाता है। इसके अतिरिक्त यहाँ कपड़े पर ख़ास तरह की कढ़ाई की जाती है जिसे चिकनकारी कहते हैं और इस तरह निर्मित कपड़े ख़रीदे जा सकते हैं।
यहाँ से आप किसी भी प्रमुख नगर को जा सकते हैं। हर दिन दिल्ली, मुंबई, कोलकाता आदि से विमान आते जाते रहते हैं और यह एक मुख्य रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है जिससे आप कई सारे शहरों में आसानी से जा सकते हैं।
परिचय
[सम्पादन]इतिहास
[सम्पादन]वर्ष 1350 की शुरुआत से लखनऊ और अवध क्षेत्र के भागों पर दिल्ली सल्तनत, मुगल शासक, अवध के नवाब, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी, अंग्रेज आदि हुकूमत कर रहे थे। अंग्रेजों के ख़िलाफ़ 1857 में विद्रोह हुआ था, उस दौरान यह इस विद्रोह के मुख्य केन्द्रों में से एक था। इसके अलावा भारत को आजादी दिलाने के आन्दोलन में भी इसकी काफी अधिक भूमिका थी।
मौसम
[सम्पादन]यह आर्द्र-उपोष्णकटिबंधीय जलवायु वाला क्षेत्र है। इसमें नवम्बर के मध्य से फरवरी तक ठंडा और सूखा मौसम रहता है। मार्च के समाप्ति से जून के मध्य गर्मियों का मौसम हो जाता है। इस दौरान भी यह जगह सूखा ही रहता है। जुलाई से सितंबर माह के मध्य में बारिश का मौसम रहता है। इस दौरान इस शहर में 896.2 मिलीमीटर बारिश होती है। जनवरी में भी कई बार पश्चिमी विक्षोभों के कारण चक्रवातों द्वारा कुछ बारिश हो जाती है। शीत ऋतु में लखनऊ में भी काफी ठंड पड़ती है। इस दौरान अधिकतम तापमान 25 °C (77 °F) होता है और न्यूनतम तापमान 3 °C (37 °F) से 7 °C (45 °F) के मध्य रहता है। दिसम्बर से जनवरी के मध्य धुंध और कुहरा एक आम बात है। शीत ऋतु में यह हिमालय में स्थित शिमला आदि जगहों जैसा ठंडा हो जाता है।
अबतक की सबसे अधिक ठंड 2012-13 के मध्य पड़ी थी। इस दौरान यहाँ का तापमान पूरे दो दिनों तक शून्य से भी कम हो गया था। यहाँ का न्यूनतम तापमान लगभग सप्ताह भर तो शून्य के आसपास रहता ही है। लेकिन ग्रीष्म ऋतु में गर्मी भी बहुत पड़ती है। इस दौरान तापमान 40 °C (104 °F) से 45 °C (113 °F) तक बढ़ जाता है। इस दौरान औसत तापमान 30 °C के आसपास रहता है।
यात्रा
[सम्पादन]विमान द्वारा
[सम्पादन]यहाँ के अमौसी हवाई अड्डे पर हर दिन दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और पटना से विमान आते रहते हैं। यह हवाई अड्डा इसी के साथ-साथ बैंगलोर, शारजाह, जेद्दा, मुसकट, देहारादून, इन्दौर, पुणे, गोवा और वाराणसी से सीधे जुड़ा हुआ है, अर्थात् आप इस हवाई अड्डे से मात्र एक बार विमान में बैठ कर इनमें से किसी भी स्थान को जा सकते हैं। आपको इन स्थानों को जाने के लिए किसी अन्य विमान या गाड़ी में बैठने की कोई जरूरत नहीं है।
रेल द्वारा
[सम्पादन]दिल्ली और गोरखपुर रेल मार्ग के मध्य में लखनऊ पड़ता है। इसके अलावा भी आप आगरा और इलाहाबाद से भी रेल द्वारा आ सकते हैं। इसके मुख्य रेल मार्ग में स्थित होने के कारण आप इससे कई शहरों में आना जाना कर सकते हैं।
कुछ प्रमुख रेलगाड़ियाँ: 12003/12004: शताब्दी ऍक्स., 15063/15064: नैनीताल ऍक्स., 19165/19166: साबरमती ऍक्स, 12553/12554:वैशाली ऍक्स., 15609/15610: अवध-आसाम ऍक्स., 2875/12876: नीलांचल ऍक्स., 14283/14284: गंगा-यमुना ऍक्स., 12229/12230: लक्नाऊ मेल, 12419/12420: गोमती ऍक्स., 14257/14258: काशी-विश्वनाथ ऍक्स., 14011/14012: नौचंदी ऍक्स., 11015/11016: बांबे-गोरखपुर ऍक्स., 12511/12512: कोचीन-गोरखपुर ऍक्स. इत्यादि।
बस द्वारा
[सम्पादन]आलमबाग और कैसर बाग में बस हड्डा स्थित है। जो बस सुनौली-भैरव से भारत/नेपाल सीमा तक जाती है, वह वाराणसी में रुक जाती है। लखनऊ से दिल्ली जाने वाली बस में एसी की सुविधा उपलब्ध है। इस मार्ग पर लखनऊ - सीतापुर - बरेली - मुरादाबाद - गाजियाबाद - दिल्ली है।
सड़क द्वारा यह देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। इनमें से कुछ शहरों की दूरी इस प्रकार है: आगरा 363 किमी, इलाहाबाद 210 किमी, अयुध्या135 किमी, कोलकाता 985 किमी, दिल्ली 497 किमी, दुधवा राष्ट्रीय उद्यान 238 किमी, कानपुर 79 किमी, खजुराहो 320 किमी, वाराणसी 280 किमी है।
देखें
[सम्पादन]देखने लायक जगहों तक पहुँचने के लिए आपको लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी, इस कारण आपको टैक्सी या रिक्शा लेना ही पड़ेगा। इस ऐतिहासिक स्थान को रिक्शे का उपयोग कर आप प्रदूषण से बचाने में सहायता कर सकते हैं। वहीं पेट्रोल या डीजल से चलने वाले वाहनों का आप जरूरत के अनुसार उपयोग कर सकते हैं। यदि आपको कहीं बहुत दूर और बहुत सारा सामान ले जाना है और जल्दी भी जाना है तो ऐसी स्थिति में आप टैक्सी आदि का उपयोग कर सकते हैं।
- अंबेडकर स्मारक एक नया, लगभग 107 एकड़ इलाके में विकसित किया गया स्मारक है जो डाक्टर भीमराव अंबेडकर की स्मृतियों को समर्पित है। पत्थरों की कारीगरी का सुंदर नमूना है। यहाँ पत्थरों से बनी सुंदर मूर्तियाँ और फव्वारे बहुत ख़ूबसूरती से बागों और खुले हिस्से के साथ समायोजित किये गये हैं। कोई फीस नहीं.
- आम्रपाली वाटर पार्क साल 2002 में शुरू हुआ, लखनऊ के टॉप पाँच वाटर पार्कों में गिना जाता है। पानी से संबंधित खेलों और कौतुक के लिए एक बेहतरीन जगह है।
- कुकरैल घड़ियाल अभयारण्य
- 1 बड़ा इमामबाड़ा और भूल-भुलैया एक बहुत बड़ा और खूबसूरत मकबरा है, जिसका निर्माण वर्ष 1783 में किया गया था। आप इसमें आसानी से इसकी खूबसूरती देखने और इसके बारे में जानने में अपना आधा दिन बिता सकते हैं। यदि आप किसी मार्गदर्शक को मार्ग दिखाने के लिए चुनते हैं तो उससे उम्मीद न करें कि उसे भी अच्छी तरह जगहों का मार्ग पता होगा। कई लोग रास्ता भूल भी जाते हैं। आपको इसमें आने के साथ साथ छोटे इमामबाड़ा में प्रवेश हेतु भी अनुमति मिल जाता है। यहाँ एक भूलभुलैया भी है। इस बात का ध्यान रखें कि बिना किसी मार्गदर्शक के आपको भूलभुलैया में जाने की अनुमति नहीं है। इसके अलावा जूते चप्पल को अन्दर ले जाने की भी अनुमति नहीं है। आपको जूते चप्पल बाहर ही छोड़ना पड़ेगा। इसके लिए ₹1 रुपये देने होते हैं, जिससे कोई आपके जूते को सहेज कर रख सके। ₹500 विदेशियों के लिए.
- 2 छोटा इमामबाड़ा इसका निर्माण अवध के तीसरे नवाब ने 1837 में किया था। या बड़ा इमामबाड़ा के पास ही स्थित है और यहाँ प्रवेश के लिए बड़ा इमामबाड़ा का टिकट ही पर्याप्त होता है। इसे रोशनियों का महल भी कहते हैं क्योंकि यहाँ झूमरों के द्वारा बहुत सुंदर प्रकाश-व्यवस्था की गयी है और ख़ास मौक़ों पर इसे और अच्छे से सजाया जाता है।
- ला मार्टिनेयर कालेज एक विद्यालय है। इसके भवन को "कुस्तुन्तुनिया" के नाम से जाना जाता है। यह ऐतिहासिक कालेज और इमारत है जिसका निर्माण 1840 में हुआ और विद्यालय 1845 में शुरू किया गया। भवन अभी भी अच्छी अवस्था में है और स्थापत्य अवश्य देखने योग्य है।
- वनस्पति उद्यान (बॉटनिकल गार्डेन्स) 06:00-08:30. लखनऊ के केन्द्रीय भाग में मौजूद लगभग 25 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तृत उद्यान है जहाँ शोध करने वालों, विद्यार्थियों और उद्यान-प्रेमी लोगों के लिए काफी कुछ देखने लायक है। यहाँ देसी और अन्य सजावटी पौधों की लगभग 6,000 प्रजातियाँ प्रदर्शित की गयी हैं। यह गोमती नदी के किनारे है और इसका संचालन एनबीआरआई द्वारा किया जाता है।
- लखनऊ रेजीडेंसी और संग्रहालय यह भवन और इसके खंडहर एक रक्त-रंजित इतिहास के गवाह हैं। 1857 के ग़दर के जमाने के, तोपों के गोलाबारी के निशान आज भी इसकी दीवालों पर देखे जा सकते हैं। हालाँकि, वर्तमान में यह एक शांतिपूर्ण स्थान है और यहाँ के एकांत में जोड़े समय बिताते देखे जा सकते हैं। शहर की धूल-गर्द से मुक्त यह हिस्सा शांत वातावरण में कुछ समय बिताने के लिए अत्यंत उपयुक्त है। यहाँ वैसे तो फोटो लेना मना है और कैमरा ले जाने पर ₹25 की फीस है, लेकिन एक बार कैमरे के साथ अंदर जाने के बाद कोई आपको रोकेगा नहीं। ₹100 विदेशी पर्यटकों हेतु, ₹5 भारतीय नागरिको हेतु.
- 3 रूमी दरवाजा (रूमी गेट), हुसैनाबाद लखनऊ
- फिरंगी महल विक्टोरिया चौक पर एक सुंदर इमारत है। यहाँ यूरोपीय लोगों का निवास था जिसके कारण इसे यह नाम मिला है। भारत की आजादी की लड़ाई के दौरान महात्मा गांधी यहाँ कुछ दिन रुके थे। खिलाफत आन्दोलन में भी यहाँ के उलेमाओं का योगदान रहा।
- शहीद समारक
- 4 हुसैनाबाद घंटाघर (घंटा घर), हुसैनाबाद लखनऊ अंग्रेजों के जमाने का एक सुंदर स्थापत्य। यह एक छोटे से पार्क में स्थित है और यहाँ से चित्र गैलरी भी है लेकिन बहुत अच्छी तरह इसका प्रबंधन नहीं किया जाता। शाम से समय यह बहुत सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है और बड़ा इमामबाड़ा का टिकट ही यहाँ भी काम कर जाता है।
- 5 इंदिरा गांधी तारामंडल, 9, नबीउल्लाह रोड, सूरज कुण्ड मार्ग, ☎ +91 2629176 टू-टू शो 13:00-18:00 (45-के शो 13:00-13:40 अंग्रेजी, 14:30-16:00, 17:00 हिंदी). यह शनि ग्रह के आकृति में बनायी गई सुंदर इमारत है। गोमती के किनारे मौजूद हाथी पार्क से भारतीय मेडिकल एसोसियेशन के ओर जाने पर, सूरज कुण्ड मार्ग पर स्थित है। तारामंडल की स्थापना 1988 में ही थी और वर्ष 2003 में इसका उद्घाटन हुआ। ₹25.
खरीदें
[सम्पादन]- अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल - गोमती नगर
- अमीनाबाद बाजार - एक बहुत पुराना बाजार है। हाथ से की गई कारीगरी हेतु भी यह जगह काफी अच्छा है। यहाँ चमड़े के जूते और बैग भी मिलते हैं। इसके अलावा यहाँ चाट और मिठाई भी मिलता है। इस पूरी गली में एक बहुत बड़ा पुस्तकों का बाजार है।
- चौक - यहाँ से आप घर में उपयोग होने वाली चीजें खरीद सकते हैं। इसमें खरीदने हेतु शाम को जाना ठीक रहेगा।
- हजरतगंज बाजार - इसमें काफी नई चीजें आपको मिल जाएंगी। कई चीजें दूसरे देशों से आयात की गई होती हैं।
- इनोक्स - इसमें सिनेमा घर भी है और खरीदने के लिए मॉल भी है।
- निशातगंज - राजमार्ग 24 में स्थित है। यहाँ फलों और सब्जियों का बहुत बड़ा बाजार है। यहाँ से आप बहुत से नए कपड़े भी खरीद सकते हैं।
खाना
[सम्पादन]लखनऊ में खाने में सबसे प्रसिद्ध व्यंजनों में टिक्का और कबाब है। सड़क के किनारे, अमीनाबाद और पुराने चौक के पास में स्थित कई सारे होटलों में आपको सस्ते में कई अनोखे व्यंजन खाने को मिल सकते हैं। हजरतगंज में तुलसी सिनेमाघर के पास आपको कई मांसाहारी व्यंजन मिल जाएगा।
- कम पैसों में
- अल्जाइका - आपको यहाँ बहुत अच्छा मांसाहारी भोजन मिलेगा, इसमें मुख्यतः चिकन है।
- बाजपई कचौरी भंडार - लखनऊ के बहुत अच्छे कचौरी यहाँ मिलते हैं।
- हाजी साहिब दुकान
- जय दुर्गमा होटल
- प्रकाश चाय कुल्फी
पीना
[सम्पादन]आपको शराब ढूंढने में कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन कई होटलों में आपको शराब तो मिल जाएगी लेकिन उन होटलों में से कई ऐसे हो सकते हैं, जिन्हें शराब बेचने की अनुमति ही प्राप्त नहीं हुई है। अतः पाँच सितारा होटल या भोजनालय से शराब लेना आपके लिए ठीक रहेगा।
अच्छा पानी पीने के लिए आपको आसानी से बोतल में बंद पानी किसी भी दुकान में मिल जाएगा। इसके अलावा आप अच्छे होटल में जा सकते हैं या घर में ही पानी गर्म कर पी सकते हैं। इनमें से लगभग सभी विकल्प उपलब्ध होता ही है, लेकिन आप चाहें तो आम का रस, गन्ने, संतरे आदि का रस भी पी सकते हैं। कई स्थानों में इस तरह के फलों के रस निकालते समय अधिक सफाई नहीं की जाती है, तो आप किसी ऐसे जगह से फलों के रस ले सकते हैं, जहाँ अच्छी तरह से सफाई होती हो।
सोना
[सम्पादन]- कम पैसों में
- होटल मानसी गंगा - पंडरीबा सड़क पर, चारबाग, खालसा अस्पताल के पास में है।
- लखनऊ होमस्टे
- शर्मा होटल - यहाँ दो शर्मा होटल है, एक 30 वर्ष पुराना भी है। नया वाला चारबाग रेलवे स्टेशन के सामने, दूसरा भी वहीं है।
- मध्यम पैसों में
- आरिफ कासल्स - राणा प्रताप मार्ग में
- करल्टन - राणा प्रताप मार्ग में
- कम्फर्ट इन - विभूति खंड, गोमती नगर
- होटल गोमती - हजरतगंज के पास
- होटल मन्दाकिनी - गौतम बुध मार्ग
- होटल सागर
- पार्क इन - हजरतगंज के पास
- अधिक पैसे में
- क्लार्क्स अवध - परिवर्तन चौक, महात्मा गांधी मार्ग, बेगम हजरत महल बाग के सामने में है।
- दयाल पैराडाइज - विपुल खंड 5, गोमती नगर में।
- पिक्काडिली होटल - कानपुर सड़क, बारा बिरवा में, लखनऊ हवाई अड्डे से तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
संचार
[सम्पादन]इस शहर में सभी मोबाइल कंपनियों का नेटवर्क अच्छा है और सारे शहर में है। कुछ स्थान में हो सकता है कि किसी किसी का कम हो या न हो, पर अधिकांश स्थानों में ठीक ही है। यहाँ यह सेवा देने वाले में एयरटेल, बीएसएनएल, टाटा डोकोमो, रिलायस आदि के साथ साथ यूनिनोर, एयरसेल और वोडाफोन आदि कंपनियाँ भी हैं। कोई सिम लेने से अच्छा है कि आप एक मोबाइल के साथ सिम लें। फोन 0522 से शुरू होता है और सामान्यतः अन्य सात अंक भी होते हैं।
अगली मंज़िल
[सम्पादन]लखनऊ घूमने के पश्चात् आप आस-पास की कई जगहों पर जा सकते हैं –
- अगर आपकी रुचि बौद्ध धर्म में है तो आप यहाँ से पूर्व की ओर बढ़ सकते हैं, गोरखपुर होते हुए कुशीनगर की यात्रा कर सकते हैं जहाँ गौतम बुद्ध का निधन और परिनिर्वाण हुआ था। यह बौद्ध धर्म के चार सबसे प्रमुख तीर्थों में से एक है। यहाँ से आगे, आप लुंबिनी के लिए नेपाल भी जा सकते हैं और नेपाल में अन्य जगहों के लिए भी। पहले नेपाल जाना चाहें तो सीधे लखनऊ से नेपाल जाना और घूम कर वापस लौटते समय कुशीनगर की यात्रा भी अच्छा विकल्प है, जिससे आप और आगे सारनाथ इत्यादि भी जा सकें।
- अयोध्या -
- इलाहाबाद -
- उत्तराखण्ड - पहले उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा था, जो अब अलग राज्य बन चुका है। यहाँ पहाड़ी मनोरम स्थल हैं जहाँ आप गर्मियों में ठंढे वातावरण हेतु और खूब जाड़े में बरफबारी देखने जा सकते हैं। लखनऊ से काठगोदाम तक रेल से यात्रा करना बेहतरीन अनुभव है। आगे नैनीताल और अन्य पर्यटन स्थल के लिए जा सकते हैं।
- वाराणसी और सारनाथ -