छत्तीसगढ़ भारत के पूर्व भाग में एक राज्य है। इसके पूर्व में ओडिशा, झारखण्ड तथा पश्चिम में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों की सीमा लगती है।
भारत में दो क्षेत्र ऐसे हैं जिनका नाम विशेष कारणों से बदल गया - एक तो 'मगध' जो बौद्ध विहारों की अधिकता के कारण "बिहार" बन गया और दूसरा 'दक्षिण कौशल' जो छत्तीस गढ़ों को अपने में समाहित रखने के कारण "छत्तीसगढ़" बन गया। किन्तु ये दोनों ही क्षेत्र अत्यन्त प्राचीन काल से ही भारत को गौरवान्वित करते रहे हैं। "छत्तीसगढ़" तो वैदिक और पौराणिक काल से ही विभिन्न संस्कृतियों के विकास का केन्द्र रहा है। यहाँ के प्राचीन मन्दिर तथा उनके भग्नावशेष इंगित करते हैं कि यहाँ पर वैष्णव, शैव, शाक्त, बौद्ध के साथ ही अनेकों आर्य तथा अनार्य संस्कृतियों का विभिन्न कालों में प्रभाव रहा है।
- छत्तीसगढ़ प्राचीनकाल के दक्षिण कोशल का एक हिस्सा है और इसका इतिहास पौराणिक काल तक पीछे की ओर चला जाता है। पौराणिक काल का 'कोशल' प्रदेश, कालान्तर में 'उत्तर कोशल' और 'दक्षिण कोशल' नाम से दो भागों में विभक्त हो गया था इसी का 'दक्षिण कोशल' वर्तमान छत्तीसगढ़ कहलाता है।
चित्रकोट जल प्रपात यह भारत का सबसे चोड़ा जल प्रपात हैं,जो यहाँ की प्रकृति की धरोहर हैं यह रायपुर से 275 किमी की दूरी पर स्थित हैं,इसके साथ ही आप को कुछ ही दूरी पर कुटुमसर की गुफा तथा कांकेर घाटी राट्रीय उद्यान भी मिल जाएगा |
शहर
[सम्पादन]इसके सबसे महत्वपूर्ण शहर एवं नगर निम्नलिखित है –
अन्य स्थल
[सम्पादन]सामान्य जानकारी
[सम्पादन]मौसम
[सम्पादन]भाषा
[सम्पादन]छत्तीसगढ़ी, हिन्दी, अंग्रेजी(अल्प ज्ञाता)
कैसे पहुंचे
[सम्पादन]हवाई मार्ग
[सम्पादन]छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से दक्षिण में लगभग 15 किलोमीटर दूर स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा (IATA: RPR, ICAO: VERP) है जिसे पूर्व में 'माना' हवाई अड्डे के नाम से भी जाना जाता था।
संपर्क +91-771-2418222
रेल मार्ग
[सम्पादन]सड़क मार्ग
[सम्पादन]छत्तीसगढ़ राज्य सड़क मार्ग से भली भांति प्रकार से जुड़ा हुआ है यहां पर, प्रस्तावित चार लेन के राष्ट्रीय राजमार्ग 130A New, 130B New, 130C New, 130D New, 149B New, 163A New, 343 New, 930New. अन्य राष्ट्रीय राज्यमार्ग जिनमे शामिल है NH 6, NH 16, NH 43, NH 12A, NH 78, NH 111, NH 200, NH 202, NH 216, NH 217, NH 221, NH30NH 930 NEW.
कहां घूमें
[सम्पादन]घूमने के लिए गिरौधपुरी जो मानव मानव एक समान के प्रणेता संत गुरु घासीदास जी की नगरी है |