गुजरात (गुजराती: ગુજરાત) भारत के पश्चिम भाग में स्थित एक राज्य है। गुजरात अपनी समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक महत्व, हस्तशिल्प और पर्यटन आकर्षणों के लिए जाना जाता है। लोथल, जो अहमदाबाद और ढोलावीरा के करीब है, उसके पास कच्छ के करीब ही हड़प्पा संस्कृति के निशान पाये जाते हैं, जो लगभग चार हजार साल पुराने हैं। गुजरात पैर रखने वाले कुओं, जैन मंदिरों, एशियाई शेरों और व्यापारी लोगों के लिए जाना जाता है। आधुनिक परिवेश और सदियों पुरानी परंपराओं का मेल गुजरात में देखने को मिलता है।
क्षेत्र
[सम्पादन]उत्तर गुजरात राजस्थान से सटा इलाका, पालनपुर और महेसाणा जैसे शहर। |
मध्य गुजरात राजधानी गांधीनगर और आर्थिक राजधानी अहमदाबाद। |
दक्षिण गुजरात सतपुड़ा की पहाड़ियाँ यहाँ से पूर्व की ओर आरंभ होती हैं, सूरत और वलसाड जैसे शहर। |
सौराष्ट्र दक्षिणी प्रायदीप, जामनगर, द्वारका, जूनागढ़ और राजकोट जैसे स्थान। |
कच्छ उत्तरी प्रायद्वीप, कच्छ का रन दर्शनीय, भुज शहर। |
अन्य जानकारी
[सम्पादन]इतिहास
[सम्पादन]गुजरात प्राचीन सभ्यता वाला क्षेत्र रहा है। लोथल जैसे प्राचीन शहर के अवशेष गुजरात में है। लोथल पुरातत्व में रुची रखने वालों के लिए पर्यटन का केंद्र है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण मथुरा से गुजरात के पश्चिमी तट पर द्वारिका में आकर बसे थे। द्वारिका धार्मिक आस्था का तथा पर्यटन का केंद्र है। मौर्य, गुप्त, गुर्जर, प्रतिहार जैसे अनेक राजवंशों ने गुजरात पर राज किया था। गुर्जर चालुक्य (सोलंकी) राजाओं का शासनकाल गुजरात में प्रगति और समृद्धि का युग था। महमूद गजनवी यहाँ की समृद्धि की बाते सुन कर ही सोमनाथ मंदिर को लूटने चला आया था। इस प्रकार की विदेशी लूटपाट के बाद भी स्थानीय गुर्जर राजाओं ने लोगों की समृद्धि और भलाई का पूरा ध्यान रखा।
भाषा
[सम्पादन]यहाँ की स्थानीय भाषा गुजराती है, जो संस्कृत और प्राकृत भाषा से निर्मित हुई है। यह गुजरात की मुख्य भाषा है। यह पाँच करोड़, नब्बे लाख भाषियों के साथ विश्व की छब्बीसवीं सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है। गुजराती स्थानीय भाषा है, लेकिन हिंदी आसानी से बोली व समझी जाती है। गुजराती, हिंदी के अतिरिक्त यहां राजस्थानी, सिंधी और अंग्रेजी भी बोली जाती है।
मौसम
[सम्पादन]शरद ऋतु काफी हल्का, सूखा और खुशनुमा होता है। इस दौरान दिन में तापमान 24°C और रात के दौरान 10 °C के आसपास होता है। इस दौरान आकाश दिन और रात पूरी तरह खुला होता है। ग्रीष्म ऋतु में मौसम बहुत गर्म हो जाता है। इस दौरान दिन में तापमान 46 °C और रात में 34 °C के आसपास रहता है। गुजरात में घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक का है।
यात्रा
[सम्पादन]विमान द्वारा
[सम्पादन]- सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा - यह हवाई अड्डा अहमदाबाद के उत्तर क्षेत्र में स्थित है। गुजरात में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा केवल अहमदाबाद में ही है, जिससे हर दिन विमान लंदन, न्यू यॉर्क, शिकागो, सिंगापुर, कुवैत, दुबई आदि में जाता है। इसके अलावा कुछ घरेलू उड़ाने भी होती है, जो आपको मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद, इंदौर और कोलकाता में जाने देती है।
- सूरत हवाई अड्डा - यह एक घरेलू हवाई अड्डा है, जो सूरत में मगदला क्षेत्र में स्थित है। यहाँ से एयर इंडिया का विमान हर दिन दिल्ली आना जाना करते रहता है। स्पाइसजेट भी हर दिन मुंबई और दिल्ली आना जाना करता है।
- वडोदरा हवाई अड्डा: गुजरात का एक प्रमुख हवाई अड्डा है जहाँ से दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, और बेंगलुरु के लिए दैनिक उड़ानें हैं, इसके आलावा वड़ोदरा से गोवा, पुणे, और चेन्नई के लिए भी उड़ानें उपलब्ध हैं।
- राजकोट हवाई अड्डा: यह हवाई अड्डा भी प्रमुख घरेलू उड़ानों से जुड़ा हुआ है। मुंबई और दिल्ली से सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं।
रेल द्वारा
[सम्पादन]गुजरात में रेल का जाल कुल पाँच हजार आठ सो नब्बे किलोमीटर की दूरी तक फैला हुआ है। यहाँ कई रेल मुंबई और दिल्ली से आना जाना करते रहते हैं। इसमें यह कई बड़े शहरों तक दिन में कई बार आना जाना करता है, जिसमें उत्तर-मध्य-दक्षिण गुजरात है, इसमें अहमदाबाद, वडोदरा और सूरत शामिल है।
- अहमदाबाद जंक्शन:यह भारत के सबसे बड़े रेलवे जंक्शनों में से एक है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु आदि से सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं। शताब्दी एक्सप्रेस, दुरंतो एक्सप्रेस और राजधानी एक्सप्रेस जैसी सुपरफास्ट ट्रेनें भी यहाँ से चलती हैं।
- सूरत रेलवे स्टेशन:पश्चिम रेलवे के तहत यह एक प्रमुख जंक्शन है। मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद, वडोदरा और जयपुर से सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।
- वडोदरा जंक्शन:यह स्टेशन भी पश्चिम रेलवे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर आदि से सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।
- राजकोट रेलवे स्टेशन:यह स्टेशन भी प्रमुख है। मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद और वडोदरा से सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।
कार द्वारा
[सम्पादन]यदि आप दिल्ली, आगरा, जयपुर, जोधपुर और उत्तर भारत के अन्य जगहों में जाना चाहते हैं तो आपको राष्ट्रीय राजमार्ग 8 लेना पड़ेगा। यदि आप मुंबई या अन्य उत्तर भारत के स्थान में जाना चाहते हैं तो भी आपको राष्ट्रीय राजमार्ग 8 लेना पड़ेगा। यदि आप नागपूर और विदर्भ के अन्य भागो में जाना चाहते हैं तो आपको राष्ट्रीय राजमार्ग 6 लेना पड़ेगा। इंदोर, भोपाल और मध्य भारत के अन्य जगहों में जाने हेतु आपको राष्ट्रीय राजमार्ग 59 लेना पड़ेगा। मध्य भारत से प्रवेश करने के लिए आपको राष्ट्रीय राजमार्ग 47 लेना होगा।
समुद्री मार्ग से
[सम्पादन]यदि आप समुद्री मार्ग से यात्रा करना चाहते हैं, तो गुजरात के पास कई प्रमुख बंदरगाह हैं। हालांकि, यह विकल्प अधिकतर मालवाहक जहाजों के लिए होता है, लेकिन कुछ सीमित यात्री सेवाएं भी उपलब्ध हो सकती हैं।
- कांडला बंदरगाह:यह भारत का सबसे व्यस्त और सबसे बड़ा बंदरगाह है। यहाँ से अन्य देशों के लिए समुद्री यात्रा की सुविधा है।
- मुंद्रा बंदरगाह:यह भी एक प्रमुख बंदरगाह है और यहां से कई अंतर्राष्ट्रीय मार्गों के लिए सेवाएं उपलब्ध हैं।
- भावनगर बंदरगाह: यह बंदरगाह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मालवाहक सेवाओं के लिए प्रमुख है।
पर्यटन स्थल
[सम्पादन]राज्य में द्वारका, सोमनाथ, पालीताना, पावागढ़, अंबाजी भद्रेश्वर, शामलाजी,बगदाणा,वीरपुर,खेरालु (सूर्यमंदिर),मोढेरा (सूर्यमंदिर) तारंगा,निष्कलंक महादेव,राजपरा (भावनगर),बहुचराजी, और गिरनार जैसे धार्मिक स्थलों के अलावा महात्मा गांधी की जन्मभूमि पोरबंदर तथा पुरातत्व और वास्तुकला की दृष्टि से उल्लेखनीय पाटन, सिद्धपुर, घुरनली, दभेई, बडनगर, मोधेरा, लोथल और अहमदाबाद जैसे स्थान भी हैं। अहमदपुर मांडवी, चारबाड़ उभारत और तीथल के सुंदर समुद्री तट, सतपुड़ा पर्वतीय स्थल, गिर वनों के शेरों का अभयारण्य और कच्छ में जंगली गधों का अभयारण्य भी पर्यटकों के आकर्षण का केद्र हैं। इसके अलावा गुजरात के स्थानीय व्यंजन के जायके भी गुजरात की खूबसूरती को और बढ़ाते है। गुजरात के पाटण में स्थित रानी की वाव यूनेस्को विश्व विरासत स्थल सूची में शामिल है।
देखें
[सम्पादन]- केलिको संग्रहालय - यह साराभाई संस्थान के पास स्थित है। यह सुबह 10:30 से 12:30 तक और फिर 2:30 से लेकर शाम 5 बजे तक खुला रहता है। इसमें सुबह 11 बजे के बाद आने की अनुमति नहीं है और आने हेतु भी 30 लोगों को आने दिया जाता है। उसमें भी 15 लोगों को जो पहले आएगा, उसे ही मौका मिलता है और अन्य 15 लोगों को पंजीयन द्वारा लिया जाता है।
- लालभाई दलपतभाई संग्रहालय - यह गुजरात विश्वविद्यालय के पास स्थित है। इसमें आने हेतु सुबह 10:30 से शाम 5:30 बजे का समय है। इसके अलावा यह सोमवार और सार्वजनिक छुट्टी के दौरान बंद रहता है। यहाँ आने हेतु कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। इसमें कई तरह के विषय के पुस्तक आपको मिल सकते हैं।
- साबरमती आश्रम - महात्मा गांधी द्वारा निर्मित आश्रम, जो आश्रम सड़क पर अहमदाबाद में स्थित है। यह सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है। यह रविवार और छुट्टी के दिन भी खुला रहता है। इसमें जाने हेतु कोई भी शुल्क नहीं लगता है।
- सासन गिरी - सासन गिरी या गीर, गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित गिर पहाडि़यों के उत्तर और पश्चिम में विश्व प्रसिद्ध सिंह अभयारण्य है। सिंह अभयारण्य परियोजना 1972 में शुरु हुई थी।
उत्सव
[सम्पादन]- अंतरराष्ट्रीय पतंग उत्सव - यह उत्सव तीन से चार दिन चलता है, जो हर वर्ष जनवरी माह में अहमदाबाद में होता है। इस दौरान पूरे भारत से लोग पतंग उड़ाने आते हैं और कई विदेशी पर्यटक भी इस उत्सव को देखने के लिए कई अलग अलग देशों से आते हैं।
- मधेरा नृत्य उत्सव - यह हर वर्ष जनवरी माह में तीसरे सप्ताह तीन दिन के लिए मनाया जाता है। पतंग उत्सव समाप्त होने के बाद यह उत्सव शुरू हो जाता है।
- रणोत्सव - यह भी तीन दिन तक होता है। इसे पूर्णिमा के दिन दिसम्बर माह में मनाया जाता है।
खाना
[सम्पादन]शाकाहारियों के लिए गुजरात स्वर्ग से कम नहीं है। यहाँ पर रहने वाले 80% लोग केवल शाकाहारी भोजन ही करते हैं। शाकाहारी भोजन में यहाँ सौ से भी अधिक प्रकार उपलब्ध है। इसमें आपको रोटी, चपाती, पूड़ी, सब्जी, चावल, दाल आदि गुजराती थाली के रूप में भोजनालय में मिल सकता है। किसी मांसाहारी भोजनालय की तलाश करना थोड़ा कठिन है। यहाँ कई भोजनालय भी हैं, जो आपको दूसरे देशों के भोजन भी दे सकते हैं।
पीना
[सम्पादन]शराब पर गुजरात में पूरी तरह प्रतिबंध है। फिर भी विदेशी पर्यटकों के लिए इसमें कुछ छूट दी गई है। वे लोग किसी भी पाँच सितारा होटल में जा कर आराम से शराब पी सकते हैं। लेकिन सार्वजनिक रूप से शराब पीना गैर-कानूनी है। यदि आप गुजरात में ज्यादा समय तक रुकना चाहते हैं तो आप शराब पीने की अनुमति प्राप्त कर सकते हैं। इसकी अनुमति कैसे प्राप्त करें, इस बारे में जानने के लिए आप होटल में या आसपास में पूछ सकते हैं।
खरीददारी
[सम्पादन]राज्य में वस्त्र हस्तशिल्प की समृद्ध परंपरा रही है। यहां की कढ़ाई का प्राचीन इतिहास है। पर्यटक यहाँ से पटोला सिल्क साड़ी, बांधनी और पांरपरिक घाघरा-चोली खरीदना पसंद करते हैं। साथ ही लौहे का फर्नीचर भी प्रसिद्ध है। यहाँ के व्यंजन जो पर्यटक अपने साथ ले जाना पसंद करते है, उनमें थेपला, खाखरा और ढोकला लोकप्रिय हैं।