वाराणसी या बनारस भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल और शहर है। यह शहर गंगा के किनारे बने अपने घाटों की खूबसूरती के लिये जाना जाता है।
समझ बढ़ायें
[सम्पादन]शहर, हिंदू और जैन धर्म में विश्वास रखने वाले लोगों के लिए पवित्र है। इस नगर को बसे हुए काफी समय हुआ और इसे भगवान् शिव का नगर माना जाता है तथा यह भी मान्यता व्यक्त की जाती है कि यह शास्वत नगरी है। प्राचीन काल से इसकी प्रसिद्धि महाश्मसान के रूप में भी है और यहाँ मृत्यु अथवा अंतिम संस्कार द्वारा मोक्ष प्राप्ति की मान्यता भी है।
प्रसिद्ध विश्वेश्वर रूप में शिव का मंदिर यहाँ स्थित है जहाँ पूरे देश से दर्शनार्थी आते हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक़ सती की मृत्यु के बाद उनके शव को लेकर दुःख में इधर-उधर भटकते शिव को इस दुःख से मुक्त कराने हेतु विष्णु ने सती के उस शव को अपने सुदर्शन चक्र द्वारा कई टुकड़ों में विभक्त कर दिया था, सती के कर्णाभरण की मणि काशी में गिरी थी जहाँ वर्त्तमान मणिकर्णिका घाट स्थित है, जो महाश्मासन माना जाता है।
गंगा यहाँ उत्तर की ओर बहती हैं और शहर इसके बायें किनारे पर बसा हुआ है। नदी के किनारे सुरम्य घाटों की लंबी शृंखला है। प्रतिदिन प्रातःकाल गंगा स्नान करने वालों की भीड़ रहती है। "सुब्हे-बनारस" के नाम से प्रसिद्ध यहाँ के सवेरे के दृश्य इस शहर का प्रमुख आकर्षण हैं और प्रतिदिन संध्या के समय गंगा-आरती देखने वालों की भी भीड़ लगती है।
आसपास कई बौद्ध और जैन धार्मिक स्थल भी हैं। सारनाथ यहाँ से कुछ ही दूरी पर स्थित है जहाँ गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। शहर के इर्द-गिर्द पाँच कोस के परिक्रमा पथ पर शिव के विभिन्न मंदिर मौजूद हैं और इस पञ्चकोशी परिक्रमा का ख़ास धार्मिक महत्त्व है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली "देव दीपावली" यहाँ का विशिष्ट पर्व और पहचान है।
मौसम और जलवायु
[सम्पादन]यह जगह उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में है और उत्तर भारत के मैदान के लगभग बीचोबीच है। यहाँ साल में चार ऋतुएँ होती हैं: जाड़ा, मध्य नवंबर से मध्य फरवरी तक; मध्य फरवरी से मध्य अप्रैल तक बसंत; मध्य अप्रैल से जून तक गर्मी और जून के अंत से लेकर अक्टूबर तक बरसात। जाड़ा और गर्मी दोनों खूब पड़ते हैं। जनवरी सबसे ठंडा महीना होता है जब किसी किसी दिन न्यूनतम तापमान शून्य से भी नीचे जा सकता है, हालाँकि आमतौर पर यह पाँच डिग्री सेल्सियस तक गिरता है। गर्मियों में मई का अंत और जून की शुरूआत के कुछ दिनों के दौरान अधिकतम तापमान पैंतालीस डिग्री पार कर जाता है। गर्मियों की ख़ास विशेषता यहाँ चलने वाली "लू" है। ये पछुवा हवाएँ अत्यधिक गर्म होती हैं और हर साल इनके कारण कुछ मौतें भी दर्ज की जाती हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में मानसूनी हवाएँ 15 जून के आसपास पहुँचती हैं और लगभग 25 जून तक इनका असर पूरे उत्तर प्रदेश पर फैल जाता है, इसके बाद सितंबर तक बरसात का सीज़न रहता है और इलाके में भारी बारिश होती है।
इस तरह, अगर आप घूमने के लिहाज से देखें तो अक्टूबर से मध्य दिसंबर तक का समय और मध्य फरवरी से अप्रैल तक का समय सर्वोतम है जब मौसम सुहाना रहता है; न तो बहुत गर्मी होती है न जाड़ा। इस समय आप हलके कपड़ों के साथ काम चला सकते हैं और गर्मी भी आपको परेशान नहीं करेगी। बाक़ी अगर आप जाड़े में यहाँ घूमना चाहते हैं तो अपने साथ भारी ऊनी कपड़े और जैकेट इत्यादि अवश्य लें। जाड़ों कि एक अन्य समस्या कोहरा भी है जिसके कारण पूरे उत्तर भारत में चलने वाली रेलगाड़ियाँ प्रभावित होती हैं। कभी-कभी तो स्थिति इतनी ख़राब हो जाती कि ट्रेन रद्द भी हो सकती है। दूसरी ओर गर्मियों में अर्थात मई-जून में दोपहर तक गर्मी और धूप इतनी तेज हो जाती और अंधड़ की तहर लू चलने लगती कि आप बाहर नहीं निकल सकते।
पहुँचें
[सम्पादन]वाराणसी हवाई मार्ग, रेल और सड़कों द्वारा पूरे भारत से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
हवाई मार्ग
[सम्पादन]1 लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा (बनारस हवाईअड्डा (बाबतपुर)) लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा (VNS IATA) मुख्य शहर से लगभग 25 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में बाबतपुर नामक स्थान पर स्थित है। टैक्सी द्वारा यहाँ से बनारस पहुँचने में लगभग एक घंटे का समय लगता है और किराया तकरीबन ₹750, जबकि टुकटुक ऑटो रिक्शा द्वारा समय ज्यादा लगता है लेकिन किराया लगभग ₹500 है। ट्रैफिक जाम यहाँ की आम समस्या है और आपको आने जाने के लिए अतिरिक्त समय लेकर चलना आवश्यक होगा। एयर इण्डिया, जेटकनेक्ट, स्पाइसजेट, और इंडीगो की विमान सेवायें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बंगलुरु, हैदराबाद, खजुराहो, विशाखापट्टनम और लखनऊ से उपलब्ध हैं। एयर इंडिया की विमान सेवा यहाँ से शारजाह के लिए है, बुद्धा एयरवेज द्वारा काठमांडू के लिए और थाई एयरवेज द्वारा बैंकाक के लिए अंतर्राष्ट्रीय विमान सेवायें उपलब्ध हैं।
रेल द्वारा
[सम्पादन]बनारस के लिए कई रेल सेवायें प्रतिदिन दिल्ली (13 घंटे), आगरा (13 घंटे), लखनऊ (7 घंटे), मुंबई (25-27 घंटे), कोलकाता (12-14 घंटे) और सिलीगुड़ी (14-16 घंटे) उपलब्ध हैं।
यहाँ तीन प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं:
- 2 वाराणसी कैंट (IR स्टेशन कोड: BSB) स्टेशन यहाँ का सबसे व्यस्त स्टेशन है। यहाँ स्टेशन के बाहर निकल कर आप आसानी से शहर में कहीं भी जाने के लिए ऑटो रिक्शा ले सकते हैं; गंगा किनारे तक जाने के लिए टुकटुक ऑटो रिक्शा लगभग ₹100 किराया लेते हैं।
- 3 मंडुआडीह रेलवे स्टेशन कैंट स्टेशन के पश्चिम में, बनारस-इलाहाबाद रेलमार्ग पर स्थित है। यहाँ से भी शहर में गंगा किनारे तक जाने का किराया लगभग ₹100 है।
- 4 मुग़ल सराय जंक्शन मुग़लसराय जंक्शन (IR स्टेशन कोड : MGS), वर्तमान नाम पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन, बनारस से करीब 20 किलोमीटर पूर्व में स्थित है और बनारस और इसके बीच में गंगा नदी बहती है। यहाँ से बनारस पहुँचने के लिए टैक्सी का किराया तकरीबन ₹500 है।
देखें
[सम्पादन]घाट और गंगा नदी
[सम्पादन]बनारस में गंगा नदी उत्तर की ओर बहती है और एक अर्धचंद्राकार आकृति का निर्माण करती है जिसके बाएँ, अर्थात पश्चिमी किनारे पर शहर बसा है। इस तट पर सीढ़ी की शक्ल में पक्के घाट बने हुए हैं जो बनारस की ख़ास पहचान हैं और अवश्य देखे जाने योग्य हैं। अधिकतर घाट स्नान पूजा इत्यादि के लिए ही हैं परन्तु इनमें से कई श्मशान घाट भी हैं जहाँ हिन्दू लोग मृतकों का दाह संस्कार करते हैं। हिन्दू लोग बनारस में निधन को पवित्र मानते हैं और अंतिम संस्कार बनारस में गंगा के तट पर होने को स्वर्ग प्राप्ति का साधन मानते हैं। कुछ प्रमुख शमशान घाटों पर प्रतिदिन 200 से भी अधिक शव जलाए जाते हैं।
बनारस के प्रमुख और प्रसिद्ध घाट उत्तर से दक्षिण के क्रम में निम्नवत हैं:
- 1 पंचगंगा घाट मान्यता अनुसार पाँच गंगाओं का मिलन स्थल।
- 2 मणिकर्णिका घाट यहाँ का मुख्य श्मशान घाट है। मान्यता अनुसार यहाँ हिन्दू देवी सती के कर्णाभरण की मणि गिरी थी। प्रतिदिन ढेरों शव जलाए जाते हैं। शांत रहें और फोटो न खींचे।
- 3 दशाश्वमेध घाट यहाँ का सबसे प्रमुख घाट है। प्रतिदिन यहाँ गंगा आरती का आयोजन होता है। यदि आप शाम को बनारस में हैं तो यह आरती अवश्य देखें।
- 4 राणा घाट स्नान और पूजा के लिए एक शांत और सुविधाजनक घाट है।
- 5 केदार घाट बहुत सुंदर और सजीला घाट है। नहाने वालों की काफी संख्या रहती है।
- 6 नारद घाट परंपरा और मान्यता अनुसार यहाँ अपने जीवनसंगी के साथ स्नान वर्जित है।
- 7 हरिश्चंद्र घाट जहाँ राजा हरिश्चंद्र ने अपने बेटे का अंतिम संस्कार किया और खुद को बेच दिया था।
- हनुमान घाट इसे पहले रामेश्वरम घाट के नाम से जाना जाता था। यह जूना अखाड़े के समीप स्थित है और लोगों की मान्यता है कि इसे श्री राम ने बनवाया था अतः इसे उनके सबसे प्रिय भक्त हनुमान को समर्पित कर दिया गया।
- शिवाला घाट राजा बलवंत सिंह द्वारा बनवाया हुआ यह घाट मध्ययुग में काफी महत्वपूर्ण था।
- 8 तुलसी घाट यहाँ पानी साफ़ करने का प्लांट लगा हुआ है। स्नान करने के लिए भी काफी लोग आते हैं।
- 9 अस्सी घाट एक प्रसिद्ध घाट है। तुलसीदास ने यहाँ निवास किया था और यही रामचरितमानस पूरा किया। यहाँ वर्तमान में कई होटल, रेस्तरां और इंटरनेट कैफे इत्यादि हैं।
धार्मिक भवन
[सम्पादन]- 10 आलमगीर मस्जिद पंचगंगा घाट पर स्थित यह मस्जिद है। यहाँ ऊपर से आसपास के इलाके का नयनाभिराम विहंगावलोकन किया जा सकता है।
- 11 भारत माता मंदिर बनारस में यह मंदिर इकलौता ऐसा मंदिर है जो भारत माता को समर्पित है। यह महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के परिसर में स्थित है। इसका निर्माण बाबू शिव प्रसाद गुप्त द्वारा करवाया गया था और महात्मा गांधी ने 1936 में इसका उद्घाटन किया। मंदिर में स्थापित संगमरमर की मूर्ति अविभाजित भारत की है और इसमें पर्वत, मैदान और समुद्र दर्शाये गये हैं। इस प्रकार भारत का उच्चावच प्रदर्शित करने वाला मानचित्र एक मूर्ति के रूप में उत्कीर्ण है जो इस मंदिर को अन्य मंदिरों से विशिष्ट बना देता है क्योंकि ज्यादातर मंदिरों में देवी देवताओं की मूर्तियाँ होती है।
- 12 दुर्गा मंदिर 18वीं सदी में निर्मित, दुर्गा मंदिर हिंदू देवी दुर्गा को समर्पित हैं। यह बनारस के कुछ सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
- 13 गौरी माता मंदिर इस मंदिर में स्थित देवी को काशी विश्वनाथ की बहन के रूप में माना जाता है। यह एक परंपरा है कि यहाँ जाना चाहिए इससे पहले कि आप बनारस छोड़ कर जा रहे हों। आप यहाँ पर समुद्री सीपियाँ ख़रीद सकते हैं और उन्हें देवी को चढ़ा सकते हैं, यहाँ कहते हुए कि आपके बनारस के पवित्र स्थलों की यात्रा और गंगा स्नान का पुण्य आपके साथ रहे और इस दान का पुण्य देवी को। मानते हैं कि, काशी यात्रा का फल तभी मिलता है जब यह रस्म पूरी की जाय।
- 14 काल भैरव मंदिर यह मंदिर काल भैरव का है - भगवान् शिव का एक भयावह रूप जिन्हें मृत्यु का देवता माना जाता है। यहाँ परंपरा अनुसार काले धागे खरीदे जाते हैं और मंदिर में चढ़ाया जाता है जिसके बाद इन्हें बाँह पर, अथवा कलाई में बाँधा जाता है अथवा गले में पहना जाता है जिससे बुरी शक्तियों से सुरक्षा हो सके।
- 15 नेपाली मंदिर ललिता घाट के समीप एक सुनहला मंदिर है जो नेपाली शैली में बना हुआ है।
- 16 सारनाथ बनारस शहर से तकरीबन 13 किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसा माना जाता है कि भगवान् बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपना पहला उपदेश यहीं दिया था - जिसे धर्मचक्र प्रवर्तन की संज्ञा दी जाती है। यहाँ एक म्यूजियम भी है। इस स्थान को मृगदाव (हिरन पार्क) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक शांत स्थल है। यहाँ कई एशियाई देशों ने अपनी परंपराओं अनुसार मंदिर बनवाये हैं।
- 17 श्री काशी विश्वनाथ मंदिर (The Golden Temple) सुरक्षा कड़ी है, जिससे प्रवेश मुश्किल हो जाता है और कभी-कभी विदेशियों की सीमा पूरी तरह से बंद हो जाती है। कोई बैग, सेलफोन या पेन की अनुमति नहीं है। उन्हें मंदिर के प्रवेश द्वारों से दुकानों में जमा किया जा सकता है
अन्य दर्शनीय स्थल
[सम्पादन]- 18 काशी विश्वविद्यालय (बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी) एह हरा भरा और शांतिपूर्ण विश्वविद्यालय कैंपस है। यह एक विस्तृत कैंपस है जहाँ तकरीबन 124 विभाग हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ भारत कला भवन है जो एक संग्रहालय है और बहुत सी कलाकृतियाँ और पुरातात्विक चीजें देखी जा सकती हैं। इस विश्वविद्यालय का निर्माण पं. मदन मोहन मालवीय के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान करवाया गया था। कैंपस में एक बड़ा और सुन्दर शिव मंदिर भी है जिसकी स्थापना मालवीय जी ने की थी।
- 19 चुनार किला (15km दक्षिण पश्चिम में) 2,000+ वर्ष पुराना किला
- कृति गैलरी, रामन निवास, मनोहरगंज (रेडियो स्टेशन के सामने), ☎ +91 9839058007 11AM-6PM. समकालीन कला से परिचित होने के लिए एक बेहतर जगह।
- 20 मान मंदिर जयपुर के राजा मान सिंह द्वारा बनवाई गयी खगोलीय वेधशालाओं में से एक।
- 21 रामनगर किला (गंगा के पूर्वी तट पर बना किला, तुलसी घाट के ठीक सामने की ओर।) बनारस के राजा का किला। यह 1750 में बना किला मुग़ल शैली में है।
यहाँ से जाएँ
[सम्पादन]- सारनाथ - समीप ही लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ है। कथाओं के मुताबिक़ यहाँ गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था जिसे 'धर्मचक्रप्रवर्तन' के नाम से जाना जाता है।
- इलाहाबाद (प्रयागराज) - गंगा और यमुना नदियों का संगम और प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ।
- गया - बिहार में हिंदू और बौद्ध धर्म के लोगों के लिए एक प्रसिद्ध तीर्थ है।
- नेपाल - हिमालय की पर्वत शृंखलाओं के बीच बसा एक सुंदर देश।