धूरी
भारत के पंजाब राज्य के संगरूर ज़िले में धूरी शहर स्थित हैं।
दर्शनीय स्थल
[सम्पादन]सतलोक आश्रम
[सम्पादन]सतलोक आश्रम पंजाब राज्य के जिला संगरूर के धूरी शहर में स्थित हैं। यह सतलोक आश्रम जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा संचालित हैं। सतलोक आश्रम धूरी 2 बीघा 3 बिस्वा जमीन में बना है। सतलोक आश्रम धूरी में सभी प्रकार की व्यवस्थाएं है बिजली, पानी, आश्रम में महिलाओं के लिए शौचालय व स्नानघर, पुरुषों के लिए शौचालय व स्नानघर की अलग-अलग व्यवस्था है। सतलोक आश्रम धूरी में लोगों के लिए ठहरने, भण्डारा करने व सत्संग सुनने की बिल्कुल निशुल्क व्यवस्था हैं। इस आश्रम में सभी धर्मों के व्यक्ति आ सकते हैं। सतलोक आश्रम धूरी में सुप्रसिद्ध संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा सभी पवित्र शास्त्रों के ज्ञान आधार पर हवन, यज्ञ, ज्योति, पाठ करवाये जाते हैं इससे यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को पवित्र सतग्रंथों का ज्ञान व पुन्य प्राप्त होते हैं। सतलोक आश्रम धूरी शहर में संगरूर जिला में स्थित हैं सतलोक आश्रम धूरी पहुंचने के लिए बस, रेलवे, जंक्शन के माध्यम से पहुंचा जा सकता हैं। सतलोक आश्रम धूरी शहर से 2 किमी दूर संगरूर से 12 किमी दूर स्थित हैं।
गुरुद्वारा नानकियाना साहिब
[सम्पादन]कंझला गांव में गुरुद्वारा नानकियाना साहिब स्थित है। इस स्थान पर गुरु नानक देव जी रुके थे और उन्होंने स्थानीय पुजारियों को सही रास्ता दिखाया था। गुरुद्वारा नानकियाना साहिब पहुंचने के लिए टैक्सी या बस से गुरुद्वारा तक पहुंचने के लिए करीब 25 मिनट लगते हैं।
गुरुद्वारा पातशाही नवमी
[सम्पादन]गुरुद्वारा पातशाही नवमी संगरूर-पटियाला रोड पर एक छोटे से कस्बे भवानीगढ़ में स्थित हैं। गुरुद्वारा पातशाही नवमी का निर्माण भव्य तरीके से किया गया है। इस गुरुद्वारे में रोजाना श्रद्धालुओं का कतार लगा रहता है।
बनासर बाग
[सम्पादन]यह मशहूर बनासर बाग शहर के एक तालाब के बीच में स्थित हैं। बनासर बाग संगमरमर की एक बारादरी यानि 12 दरवाजों की एक इमारत है। इस बनारस बाग में एक महल भी है जो अब संग्रहालय के रूप में हो चुका है। यहां पर प्राचीन हथियारों और आलेखों को प्रदर्शित किया गया है। यहां पर संगत सर्दियों में ज्यादा आती हैं।
गुरुद्वारा अकोई साहिब
[सम्पादन]शहर से उत्तर की ओर 5 किमी की दूरी पर मालेरकोटला-संगरूर रोड पर अकोई गांव में गुरुद्वारा अकोई साहिब स्थित है। यहां पर पहला दौरा पहले, छठे और नौवें सिख गुरुओं ने किया था। गुरुद्वारा अकोई साहिब में श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब जी ने अपने घोड़े को करीर के पेड़ से बांधा था यह आज भी मौजूद हैं। गुरुद्वारे के मध्य में एक बड़ा सा गुंबद है जो चारों तरफ से छोटे छोटे गुंबदों से घिरा हुआ है। गुरुद्वारा अकोई साहिब में विदेशों से भी यहां संगत आती रहती है।
पहुंचें
[सम्पादन]रेल मार्ग
[सम्पादन]जिला संगरूर और धूरी जंक्शन के बिच में 20 ट्रैन रोजाना चलती है। संगरूर से धूरी सफ़र तय करने में किराया 30-45 रूपए लगता हैं।
सड़क मार्ग
[सम्पादन]संगरूर से धूरी शहर पहुंचने के लिए बस के माध्यम से भी पहुंच सकते हैं। संगरूर से धूरी शहर पहुंचने में बस का किराया लगभग 15 रुपए लगते हैं। संगरूर और धूरी शहर के लिए हर 10 मिनट में बस आती जाती हैं। संगरूर से धूरी शहर पहुंचने के लिए रिक्शा से भी जाया जा सकता हैं रिक्शा का किराया लगभग 15-20 रुपए हैं।