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मुम्बई (मराठी – मुंबई), एक सर्वदेशीय महानगर जिसे भूतकाल में बम्बई कहा जाता था, भारत का सबसे बड़ा शहर एवं इसके महाराष्ट्र राज्य की राजधानी है। यह मूलतः कोंकण तटरेखा पर सात द्वीपों का एक समूह था, जिन्हें समय गुजरने के साथ आपस में जोड़ कर बम्बई द्वीप शहर बनाया गया। बाद में पड़ोसी द्वीप साल्सेट को भी इसमें शामिल कर ग्रेटर बॉम्बे बना। 2005 में इस महानगर की अनुमानित आबादी दो करोड़ दस लाख थी जिस कारण यह जनसंख्यानुसार दुनिया के सबसे बड़े शहरों में से एक है।

मुंबई निस्संदेह भारत की वाणिज्यिक राजधानी और देश के प्रमुख बंदरगाह शहरों में से एक है। विश्व स्तर पर प्रभावशाली हिन्दी फिल्मों तथा टीवी उद्योग के केन्द्र बॉलीवुड की शहर में उपस्थिति मुम्बई के सर्वाधिक सारग्राही और विश्वजनीन भारतीय महानगर होने का प्रतीक है। यह भारत की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती में रहने वाली आबादी का घर भी है।

क्षेत्र[सम्पादन]

मुंबई प्रवासन की क्रमिक लहरों में बना शहर है। यहाँ के इलाकों ने उन समुदायों से अपना चरित्र पाया जो उस स्थान पर पहले बसे थे। सूचीबद्ध करने हेतु इन इलाकों की गिनती बहुत ज़्यादा है और इन्हें बड़े जिलों में बाँटने का कोई आम-स्वीकृत तरीका नहीं है। वर्तमान मुंबई का विस्तार मोटा-मोटी, दक्षिण से उत्तर दिशा की तरफ, कुछ इस तरह हुआ –

मुम्बई के क्षेत्र का रंगीन नक्शा
दक्षिण मुम्बई (फोर्ट, कोलाबा, मालाबार हिल, नरीमन पॉइंट, मरीन लाइन्स व ताड़देव)
मुम्बई के सबसे पुराने इलाके; महानगर का मुख्य शहरी भाग इस क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यह मुम्बई का केन्द्र माना गया है। रहवास हेतु देश के सबसे महँगे इलाके यहाँ स्थित हैं जहाँ पर प्रचलित संपत्ति दरें पूरी दुनिया में अधिकतम के करीब हैं। दक्षिण मुम्बई में अचल संपत्ति की कीमतें आपको मैनहट्टन की याद दिला देगी। एक आम पर्यटक के लिए यह क्षेत्र मुम्बई का पर्याय है। गेटवे ऑफ़ इन्डिया के साथ ही साथ शहर के अधिकांश संग्रहालय, कला गैलरियाँ, उम्दा भोजनालय और मदिरालय यहीं पर हैं।
दक्षिण मध्य मुम्बई (भायखला, परेल, वर्ली, प्रभादेवी व दादर)
यह मुंबई का औद्योगिक गढ़ हुआ करता था लेकिन आजकल उद्योगधर्मी इसके मुकाबले दूसरे क्षेत्रों को ज़्यादा पसंद करते हैं। अब यहाँ पर केवल सफेदपोशा कार्यालय ही पाएँ जाते हैं। मुंबई का एकमात्र चिड़ियाघर, वरली समुद्रतट और लोगों के द्वारा शहर की संरक्षक माने जानी वाली देवी का मंदिर इस भाग में है। उत्तर की दिशा में बढ़ने पर यह एक साफ-सुथरे मध्यमवर्गीय रिहायशी इलाके में तब्दील हो जाता है।
उत्तर मध्य मुम्बई (धारावी, माटुंगा, वडाला, सायन व माहिम)
एशिया की दूसरी सबसे बड़ी झुग्गी-बस्ती धारावी को छोड़ दें तो यहाँ अधिकतर ऊपरी मध्यम वर्ग के लोग रहते हैं। भारत की आजादी के तुरंत बाद ही लोगों ने यहाँ बसना शुरू कर दिया था। इन प्रवासियों में एक वर्ग विभाजन पश्चात् आए शरणार्थियों से बना था।
पश्चिम मुम्बई (बांद्रा, खार, सांताक्रुज, जुहू, विलेपार्ले, अंधेरी व वर्सोवा)
मुंबई का दूसरा मुख्य शहरी भाग इस क्षेत्र में शामिल है। यहाँ वे अमीर लोगों रहते हैं जो अपने रहने की जगह के आसपास एक शांत वातावरण चाहते हैं। इस क्षेत्र में एक-दो समुद्रतट है, जहाँ पर आप सुकून के कुछ पल बिताने जा सकते हैं। एक बड़े ईसाई समुदाय ने इस जगह को अपना घर बनाया है और शहर का सबसे प्रसिद्ध गिरजाघर भी यहीं मिलेगा। इसके अलावा मुंबई के घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पश्चिम हिस्से में आते हैं।
पूर्व मुम्बई/सेन्ट्रल उपनगर (कुर्ला, विद्याविहार, घाटकोपर, विक्रोली, कांजुर मार्ग, भांडुप, मुलुंड व पवई)
यह पक्के रूप से मध्यम वर्ग का गढ़ है। मुलुंड और घाटकोपर में ज़्यादातर मध्यम और ऊपरी मध्यम वर्ग की आबादी वाले घर हैं, जिनमें से कई उद्यमशील गुजराती परिवारों के हैं।
हार्बर उपनगर (चेम्बुर, गोवंडी, मानखुर्द व ट्रॉम्बे)
नवी मुंबई के एक उपग्रह शहर के रूप में उभरने से पहले यह क्षेत्र केवल एक परमाणु शोध केंद्र के यहाँ पर वास के लिए जाना जाता था। अब लोग इस रास्ते से होकर नवी मुम्बई जाते हैं।
उत्तर मुम्बई (मनोरी, जोगेश्वरी, बोरीवली, गोराई, दहिसर)
यह वह जगह है जहाँ आपको समुद्रतटों पर गंदगी नहीं दिखेगी। इसे छोड़कर यह बंबई के तीवर शहरीकरण का एक और शिकार मात्र है। बाकी देखने लायक जगहों में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान और पहली सदी ईपू से पाँचवी सदी ईसवी के बीच चट्टानों को तराश कर बने कन्हेरी, महाकाली, जोगेश्वरी तथा मंडपेश्वर मंदिर जैसे मुम्बई के प्राचीनतम विरासत स्थल शामिल है। गोराई मुम्बई में एक ग्लोबल विपस्सना पगोडा नाम से एक मशहूर स्मारक भी है, जिसका उदघाटन भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने 8 फरवरी 2009 को किया था।

पश्चिमी तथा सेन्ट्रल, पूर्व और पश्चिम


मुंबई के उपनगरीय इलाकों में कोई भी आगंतुक बहुत जल्दी जान जाएगा कि उपनगरों को "पश्चिमी" और "सेन्ट्रल" में वर्गीकृत किया गया है। वह एक "पश्चिम" पक्ष और "पूर्व" पक्ष के बारे में भी सुनेगा/सुनेगी। अगर आप विमूढ़ है तो यहाँ एक त्वरित विवरण पेश है –

  • पश्चिमी तथा सेन्ट्रल उपनगरों का विभाजन उन स्थानीय रेल लाइनों के आधार पर किया गया है जो क्रमशः उन क्षेत्रों में सेवाएँ प्रदान करती है। पश्चिम और मध्य रेल भारत के पश्चिमी और मध्य भागों में कार्य करने वाली इकाइयाँ हैं। दोनों का मुख्यालय मुम्बई में है।
  • मुम्बई के लगभग सभी इलाकों का एक "पश्चिम" और एक "पूर्व" पक्ष है। "पश्चिम" से तात्पर्य रेल लाइन से पश्चिम दिशा की तरफ और "पूर्व" का मतलब लाइन से पूर्व दिशा की ओर वाले भाग से है। उदाहरणार्थ, मुलुंड (पश्चिम) का मतलब उस क्षेत्र से है जो मुलुंड रेलवे स्टेशन से पश्चिम दिशा में है।

परिचय[सम्पादन]

नाम[सम्पादन]

इसका वर्तमान नाम "मुंबई" है जिसकी उत्पत्ति के बारे में दो मत हैं। पहला मत इसे "मुंबा" देवी और "आई" (मराठी में माँ) के जुड़ाव से बना बताते हैं। ऐसा मानने वाले यह दावा करते हैं कि वर्तमान नाम ही मूल नाम भी है। इसके विपरीत कुछ लोगों का मानना है कि इसे पुर्तगालियों ने "बोम बाहिया" नाम दिया था जिसका अर्थ "खूबसूरत खाड़ी" होता है जिसे बाद में अंग्रेजों ने अंग्रेजीकरण करते समय बॉम्बे (Bombay) किया। अंग्रेजों के राज्य में यह इसी नाम से जाना जाता रहा और बॉम्बे को कुछ अन्य भाषाओं के बोलने वाले स्थानीय लोग तथा हिंदी-उर्दू भाषी लोग बंबई भी कहते रहे।

इसका नाम 1995 में बदल कर मुंबई किया गया और यह निर्णय विवादित भी रहा। हालाँकि, अब पश्चिमी देशों में इसका वर्तमान नाम प्रचलित है। स्थानीय तौर पर अभी भी कुछ लोग बंबई कहते हैं, आमतौर पर ये लोग अन्य राज्यों से आये लोग होते हैं। स्थानीय मराठी इसे मुंबई कहते हैं और गर्व से "आमची मुंबई" अर्थात "हमारा मुंबई" भी।

इतिहास[सम्पादन]

यह क्षेत्र 1498 तक गुजरात के सुल्तान के पास ही था, लेकिन इसके बाद पुर्तगालियों हमला कर इस जगह पर कब्जा कर लिया। इसके बाद उन लोगों ने रहने का स्थान, किला, चर्च आदि का निर्माण शुरू कर दिया। इस तरह का कार्य तब रुका जब इस जगह को इंग्लैंड ने अपने हिस्से में ले लिया। 1661 में कैथरिन डे ब्रैगंजा के कारण पुर्तगालियों ने इसे इंग्लैंड के हवाले कर दिया। लेकिन इंग्लैंड का चार्लस द्वितीय इस क्षेत्र में कोई रुचि नहीं ले रहा था और 1668 में इसने ईस्ट इंडिया कंपनी को £10 प्रति वर्ष में इसे किराये पर दे दिया। ईस्ट इंडिया कंपनी ने यहाँ बन्दरगाह का निर्माण कराया, व्यापार के केंद्र स्थापित किये और किला बनवाया और इसे व्यापार करने के लायक जगह में बदल दिया। उनका कार्य भारत के आजाद होने से पूर्व तक चलता ही रहा।

बंदरगाह और समुद्री व्यापार ने बहुत से व्यापारिक और वाणिज्यिक समुदायों को आकर्षित किया जिनमें पारसी, गुजराती, और मारवाड़ी (राजस्थान से) लोग प्रमुख थे। इन लोगों ने 19वीं सदी के आख़िरी दौर में यहाँ व्यापार केंद्र बनाने और उद्योग लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उद्योगों ने देश के बाकी हिस्सों से प्रवासी मज़दूरों को आकर्षित किया और अलग-अलग प्रवास-तरंगों में यहाँ मज़दूर और अन्य छोटे-मोटे काम धंधे करने वालों का आगमन हुआ जिसका यहाँ की विशिष्ट संस्कृति विकसित करने में काफ़ी योगदान रहा।

शहर के असली जन्म का श्रेय ब्रिटिश (अंग्रेज) लोगों को ही जाता है और बाद में यहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जन्म भी हुआ; शहर भारत की आज़ादी की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा और भारतीय इतिहास के वर्तमान स्वरूप को निर्धारित करने वाली कई घटनाएँ यहाँ घटित हुईं।

हिन्दी फिल्म उद्योग[सम्पादन]

हिन्दी फिल्म उद्योग, जिसे बॉलीवुड कहते हैं, का विकास भी मुंबई में ही हुआ है। बॉलीवुड शब्द का निर्माण अमेरिका के हॉलीवुड और मुंबई के पुराने नाम बम्बई से मिल कर हुआ है। मुंबई मुख्य रूप से हिन्दी सिनेमा के कारण जाना जाता है। यह उद्योग बहुत ही बड़ा है और लगभग पूरी दुनिया में फैला हुआ है। यहाँ सभी हिन्दी फिल्मों के कलाकार रहते हैं।

मौसम[सम्पादन]

 जलवायु जनवरी फ़रवरी मार्च अप्रैल मई जून जुलाई अगस्त सितंबर अक्तूबर नवंबर दिसंबर
 
अधिकतम (° से॰) 31 31 33 33 33 32 30 29 30 33 33 32
न्यूनतम (° से॰) 16 17 21 24 26 26 25 25 24 23 21 18
वर्षा (मिमी) 1 2 0 1 13 574 868 553 306 63 15 56

source भारत मौसमविज्ञान विभाग

मुंबई में तीन प्रमुख ऋतुएँ होती हैं — गर्मी, मानसून (वर्षा), और जाड़ा (हल्की गर्मी)। यहाँ जाने का सबसे उत्तम समय जाड़े की ऋतु है, अर्थात नवंबर से फ़रवरी के बीच। इस दौरान तापमान न्यूनतम 17°C और अधिकतम 30-31°C के आसपास रहता है। जाड़ों में यहाँ हवा में नमी भी कम रहती है। गर्मी की गर्मी की ऋतु मार्च से मई तक होती है और इसके बाद वर्षा ऋतु आ जाती है। वर्षा की ऋतु बीत जाने के बाद भी गर्मी पड़ती है, विशेषकर अक्टूबर में। जून से सितंबर तक बारिशों का समय है जब यहाँ भारी बारिश होती है। मौसम साफ़ होने पर भी इस दौरान तैयारी के साथ निकलें क्योंकि कभी भी बारिश शुरू हो सकती है। ऐसा इसके समुद्र के किनारे होने के कारण है।

चूँकि, मुंबई महासागर के किनारे ही बसा हुआ है। इस कारण कई बार यहाँ चक्रवात भी आते रहते हैं। चक्रवात के समय कई बार ज्वार-भाटा भी समस्या उत्पन्न करता है। इसके कई स्थान नीचे होने के कारण यहाँ पानी भरने की समस्या भी कुछ स्थानों में रहती है। इन सब के अलावा यहाँ का मौसम काफी अच्छा रहता है।

घूमना[सम्पादन]

गेटवे ऑफ़ इंडिया, मुम्बई का ऐतिहासिक स्थान

यहाँ घूमने के लिए बहुत सी जगहें हैं। यहाँ रात में भी दिन के जैसे ही चहल-पहल होती है और कोई भी रात को भी यहाँ आराम से घूम सकता है। यह बहुत ही व्यस्त शहर है। इस कारण यहाँ यातायात एक समस्या है। फिर भी यहाँ आसानी से घूमा जा सकता है। इसके लिए कई टेक्सी भी उपलब्ध होती है।

"भारत का प्रवेशद्वार" (गेटवे ऑफ इंडिया) भी एक बहुत ही प्रसिद्ध स्मारक है, जहाँ आप घूम सकते हैं। यह बहुत पहले बनाया गया था और इसे घूमने हेतु रखा गया है। यहाँ घूमने और इसे देखने के लिए कई देशी और विदेशी लोग भी आते रहते हैं।

खरीदना[सम्पादन]

  • 1 चोर बाजारभंडारवाड़ा चोर बाजार का अर्थ चोरों के बाजार से है, जहाँ चोरी किए गए सामान को चोर उस बाजार में बेचते हैं। यह कई गलियों से जुड़ा हुआ होता है, जिसमें आपको कई अलग अलग तरह के सामान देखने को मिलेंगे। इसमें पुराने सामान से लेकर नए मोजे और कार के सामान तक मिलते हैं। इसमें उपलब्ध सामान और प्रकार देखना चौंकाने लायक है। लेकिन कोई भी सामान खरीदते समय अपनी आँखें अच्छी तरह खोल लें। कई बार ऐसे सामान भी यहाँ बेचे जाते हैं, जो नकली होते हैं या पुराने सामान को ठीक कर के उसे नया बता कर बेचे जाते हैं। इस तरह के साथ जल्दी से थोड़े पैसे कमाने के चक्कर में बेचे जाते हैं। ऐसे जगह पर अधिक सामान ले कर न आयें, जैसे पैसा, हार, घड़ी आदि। ऐसे चीजें चोरों को आपके तरफ आकर्षित करेंगे। यदि आप पहली बार इस बाजार में आ रहे हैं, तो इसकी बहुत अधिक संभावना है कि वहाँ आपका सारा पैसा और कीमती सामान कोई लूट कर चला जाये, क्योंकि वहाँ के स्थानीय लोग, नए लोगों को बहुत आसानी से पहचान लेते हैं।
  • 2 झवेरी बाजारभूलेश्वर सड़क, (क्राफोर्ड बाजार के उत्तर में, - : मरीन लाइन स्टेशन ~1.0 कि॰मी॰ पश्चिम) बहुत ही जाना पहचाना आभूषणों का बाजार है।
  • 3 मंगलदास बाजारजंजीकर गली (छत्रपति शिवाजी स्टेशन से ~0.5 कि॰मी॰ उत्तर-पूर्व) रविवार को बंद रहता है।. यहाँ सिल्क आदि कपड़े मिलते हैं।

खाना[सम्पादन]

मुंबई के भोजनालयों में खाने का अनुभव दुनिया के किसी और भोजनालय से कम नहीं है। इस जगह पे आप मध्य पूर्व, पश्चिमी यूरोप, दक्षिण अमेरिका और चीन में मिलने वाले भोजन मिल सकते हैं। लेकिन अगर आप मुंबई के वास्तविक स्वाद का मजा लेना चाहते हैं तो आपको थोड़े कम स्तर के भोजनालय या रास्ते में मिलने वाले खाने का मजा ले सकते हैं। मार्च 2015 से बीफ पर महाराष्ट्र में प्रतिबंध लगाया गया है। किसी भोजनालय में बीफ मिलना सामान्य बात नहीं है। किसी एक भोजनालय में या अन्य जगह खाना खाने के लिए आप उस जिले के पन्नों में जा सकते हैं।

पीना[सम्पादन]

सोना[सम्पादन]

मुम्बई में कोई सस्ता होटल ढूँढना काफी कठिन काम है। यदि आप मुम्बई में केवल घूमने आए हो या अपने व्यापार के लिए, आपको दक्षिण मुम्बई में रहना चाहिए, जो व्यापार के लिए भी ठीक है और कई देखने लायक जगह भी है। यहाँ एक समस्या ये है कि यहाँ जगहों की कमी है, अर्थात यदि आप किसी सस्ते से भी सस्ते होटल में रुकेंगे तो भी आपको अन्य जगहों की तुलना में ज्यादा पैसा देना होगा। सार्वजनिक यातायात और भीड़ को देखने से ऐसा नहीं लगता कि कहीं और रहना ठीक होगा। यदि आप हवाई अड्डे के निकट कोई होटल देख रहे हैं तो अन्य चीजें ठीक नहीं होंगी। आपको कोलाबा में कई सारे सस्ते अतिथि घर मिल जाएँगे, जिसमें अधिकांश विदेशी यात्री भी रहते हैं। अन्य होटल आपको रेलवे स्टेशन के पास मिल सकते हैं।

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